आरयू वेब टीम। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। गुलाम नबी आजाद ने पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पांच पेज का एक लेटर लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि एआइसीसी चलाने वाली मंडली ने कांग्रेस को बर्बाद कर दिया। गुलाम नबी ने कहा कि कांग्रेस ने एआइटीसी के नेतृत्व में इच्छाशक्ति और अपनी क्षमता खो दी है।
साथ ही गुलाम नबी आजाद ने कहा कि वे इस कदम को भारी मन से उठा रहे हैं। सोनिया गांधी के नाम पांच पेज के पत्र में आजाद ने कहा, “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ अपने आधे शताब्दी पुराने जुड़ाव को तोड़ने का फैसला किया है।” आजाद ने सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में कांग्रेस से जुड़ने का जिक्र किया है।
उन्होंने कहा है कि छात्र जीवन में महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद, सुभाष चंद्र बोस और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों से प्रभावित हुआ था। उन्होंने लिखा है कि 1975-76 में संजय गांधी के आग्रह पर जम्मू-कश्मीर युवा कांग्रेस का अध्यक्ष पद संभाला था। आजाद ने लिखा है कि उन्होंने बिना किसी स्वार्थ भाव के दशकों तक पार्टी की सेवा की है।
आजाद ने आगे कहा कि आपके नेतृत्व में पार्टी अच्छा प्रदर्शन कर रही थी, लेकिन दुर्भाग्य से जब से पार्टी में राहुल गांधी की एंट्री हुई, खासतौर पर 2013 के बाद जब आपने राहुल को उपाध्यक्ष नियुक्त किया, तब से उन्होंने पार्टी में बातचीत का पूरा खाका ही ध्वस्त कर दिया। साथ ही यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को साइडलाइन कर दिया गया। अनुभवहीन नेता पार्टी के मामले देखने लगे।
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गौरतलब है कि आजाद कांग्रेस के जी-23 के नेताओं में शामिल रहे थे। इस ग्रुप के सदस्यों ने पार्टी नेतृत्व में बदलाव को लेकर मांग उठाई थी। गुलाम नबी काफी समय से पार्टी से नाराज चल रहे थे। जी-23 गुट के जरिए से वे कांग्रेस में लगातार कई अहम बदलाव की मांग करते रहे। गौरतलब है कि कांग्रेस को इस तरह का झटका पहली बार नहीं लगा है, इससे पहले कांग्रेस के एक और वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने भी पार्टी से नाता तोड़ लिया था। बाद में समाजवादी पार्टी ने उन्हें समर्थन देकर राज्यसभा भी भेजा।
आजाद और कांग्रेस के बीच कई मुद्दों को लेकर मतभेद सामने आते रहे थे। पार्टी में अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर या फिर कुछ मुद्दों पर पार्टी के स्टैंड पर भी अपने बयानों से अलग खड़े नजर आए थे। वहीं सोनिया गांधी ने उन्हें जम्मू- कश्मीर में पार्टी की तरफ से चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया था। हालांकि पद दिए जाने के कुछ घंटों बाद ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद से ही उन्हें लेकर राजनीतिक गलियारों में तमाम कयास लगाए जा रहे थे।