आरयू ब्यूरो, लखनऊ। हाथरस गैंगरेप कांड में योगी सरकार की काफी किरकिरी कराने वाले एसपी हाथरस विक्रांत वीर पर आखिकार सरकार की गाज गिर ही गयी। सरकार ने एसपी समेत सीओ व इंस्पेक्टर को भी निलंबित कर दिया है।
वहीं देशभर की सुर्खियों में छाए दलित युवती से गैंगरेप व उसकी हत्या के सनसनीखेज मामले में योगी सरकार ने किशोरी के पीड़ित परिवार समेत आरोपितों व इससे किसी न किसी तरह से जुड़े तमाम पुलिसवालों का भी पॉलीग्राफ व नार्को टेस्ट कराने का फैसला लिया है। इसके साथ ही नाजुक वक्त पर एसपी शामली विनीत जायसवाल को एसपी हाथरस के पद पर तैनाती दी गयी है।
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एसआइटी की ओर से आज सरकार को सौंपी गयी रिपोर्ट के आधार पर जहां पुलिसवालों पर कार्रवाई की गयी है। वहीं देश को हिलाकर रख देने वाले इस मामले में सभी तथ्यों की बारीकी से जांच के लिए पॉलीग्राफ व नार्को टेस्ट कराने का भी निर्णय लिया गया है।
पुलिस के कुल पांच अधिकारी कर्मचारी निलंबित
वहीं एसआइटी की पहली रिपोर्ट के बाद आज सीएम योगी के निर्देश पर गैंगरेप कांड में लापरवाही बरतने व शिथिल पर्यवेक्षण के लिए निलंबित किया गया है। इसके अलावा तत्कालीन सीओ राम शब्द, इंस्पेक्टर दिनेश कुमार वर्मा, एसएसआइ जगवीर सिंह और हेड मोहर्रिर महेश पाल को भी निलंबित कर दिया गया है।
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मनबढ़ जिलाधिकारी पर भी गिर सकती है सीएम योगी की गाज
वहीं एसपी पर कार्रवाई के बाद अंदाजा लगाया जा रहा है कि हाथरस के मनबढ़ जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार पर भी सीएम योगी की गाज गिर सकती है। दलित युवत के साथ गैंगरेप व हत्या से लेकर पुलिसवालों द्वारा उसकी लाश को जबरन जलाने वाली घटना के बाद मचे बवाल के बाद से लगातर डीएम हाथरस सुर्खियों में हैं। उनका कई वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इन वीडियो में डीएम अपनी पद की गरिमा के अनुरुप बात व व्यव्हार करते नजर नहीं आ रहें हैं। इसके अलावा हैवानियत की बलि चढ़ी युवती के परिजनों ने भी डीएम पर धमकाने व मारपीट करने जैसे गंभीर आरोप लगाएं हैं।