आरयू वेब टीम। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप की अपील को स्वीकारते हुए कोरोना वायरस के मरीजों के लिए कारगर माने जा रही एंटी मलेरिया दवा हॉइड्राक्सिक्लोरोक्वीन के निर्यात पर मोदी सरकार ने आंशिक रुप से प्रतिबंध हटा लिया है। सरकार ने ऐसा ट्रंप की उस अपील को देखते हुए किया है, जिसमें उन्होंने कोरोना के ईलाज के लिए भारत से मदद मांगी थी।
इसके पहले भारत सरकार ने भारत में कोविड-19 के बढ़ने के बाद हॉइड्राक्सिक्लोरोक्वीन, पैरासीटामॉल सहित कई दवाओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। विदेश मंत्रालय सूत्रों को अनुसार सरकार ने यह फैसला मानवीय आधार पर किया है। साथ ही यह स्पष्ट किया है कि दवा के निर्यात से प्रतिबंध नहीं हटाया गया है, केवल आंशिक आधार पर निर्यात की छूट दी गई है। अधिकारी के अनुसार इसके लिए फॉर्मा इंडस्ट्री से दवा की उपलब्धता पर विचार किया गया है।
सरकार के अनुसार फॉर्मा इंडस्ट्री से विचार–विमार्श के बाद यह फैसला किया गया है। इसके तहत यह पाया गया है कि भारत में इस निर्यात से दवाओं की कोई किल्लत नहीं होने वाली है। हॉइड्राक्सिक्लोरोक्वीन मलेरिया के ईलाज में इस्तेमाल की जाती है। ऐसा माना जा रहा है कि कोरोना के ईलाज में यह दवा काफी कारगर हो सकती है। इसी वजह से अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत से इस दवा की मांग की है। अमेरिका में अब तक 3.67 लाख लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। जबकि 4700 लोगों की मौत हो गई है।
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हालांकि सरकार ने पैरासीटामॉल पर किसी तरह के प्रतिबंध में नहीं ढील दी है। इसके पहले केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने 12 एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रेडिएंट्स (एपीआइ) और उनके फॉर्मूलेशन्स के निर्यात पर लगी रोक हटा दिया है। इसके तहतटिनिडाजोल, मेट्रोनिडैजोल, एसाइक्लोविर, विटामिन बी,आइ, विटामिन बी6 और विटामिन बी12 शामिल हैं।
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बताते चलें कि इसके पहले ट्रंप ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हालिया फोन कॉल के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा था कि वह इस दवा को अमेरिका को देने पर विचार करेंगे। ट्रंप ने कहा, मैंने उनसे कहा था कि हम आपके दवा देने के फैसले की सराहना करेंगे। यदि वह दवा अमेरिका को देने की अनुमति नहीं देते हैं तो ठीक है, लेकिन निश्चित रूप से जवाबी कार्रवाई हो सकती है।