चांद पर सूरज की रोशनी के साथ जागेंगे विक्रम-प्रज्ञान! ISRO को मिलेगी बड़ी सफलता

विक्रम-प्रज्ञान
विक्रम-प्रज्ञान।

आरयू वेब टीम। चंद्रयान-3 का प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर अभी चांद के दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद हैं। चंद्रमा पर सूरज की किरणें पड़ने के कुछ घंटों के बाद इनके फिर से चार्ज होने की उम्मीद है। अपने मिशन को आगे बढ़ाने के लिए इसरो, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के साथ फिर से 22 सितंबर को संचार स्थापित करने की कोशिश करेगा। चांद पर लंबी रात बिता चुके लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान सूरज की किरणों के साथ जागे तो वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसे इसरो की बड़ी सफलता मानी जाएगी। वहीं चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद हरेक पहलू पर अपना काम बखूबी पूरा कर चुके लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान फिर से एक्टिव हुए तो इसरो एवरेज डेटा से आगे बढ़कर डेटा एक्यूरेसी हासिल कर सकेगा।

इसरो सीपीबीओ डायरेक्टर डॉ. एन सुधीर कुमार के मुताबिक अब हर किसी को लैंडर और रोवर के जागने का इंतजार है क्योंकि अब हर किसी को चंद्रयान-3 मिशन से बोनस की उम्मीद है। चंद्रयान-3 का प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर अभी चांद के दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद हैं। चंद्रमा पर सूरज की किरणें पड़ने के कुछ घंटों के बाद इनके फिर से चार्ज होने की उम्मीद है। अपने मिशन को आगे बढ़ाने के लिए इसरो, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के साथ फिर से 22 सितंबर को संचार स्थापित करने की कोशिश करेगा। चांद पर अब 14 दिनों के बाद सूर्योदय होने वाला है। इसरो ने गत चार सितंबर को लैंडर विक्रम को स्लीप मोड में डाल दिया था, जबकि दो सितंबर को प्रज्ञान रोवर को स्लीप मोड में डाल दिया गया था। ऐसे में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में शिव शक्ति बिंदु पर जब फिर से सूर्य का प्रकाश लौटेगा तो इन्हें ऑन किया जाएगा। ऐसे में लैंडर और रोवर के फिर से एक्टिव होने की उम्मीद है।

सूर्य का प्रकाश आने के साथ ही उनके फिर से एक्टिव होने की उम्मीद है। इसरो ने पहले ही कह दिया था कि दोनों ही सूर्य की रोशनी मिलते ही चार्ज हो जाएंगे और एक्टिव मोड में आ जाएंगे। इसरो 22 सितंबर को संचार प्रयास शुरू करने से पहले तापमान के निर्धारित स्तर तक बढ़ने का इंतजार करेगा। इसरो वैज्ञानिक डॉ.सुधीर के मुताबिक 14 जुलाई को लॉन्च किया गया चंद्रयान-3 मिशन पूरी तरह से सफल रहा है और वह हरेक काम कर चुका है, जिसके मकसद से उसे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर 23 अगस्त को सॉफ्ट लैंड कराया गया था। इसरो के वैज्ञानिकों ने कहा, उम्मीद पर दुनिया कायम है। दोबारा संपर्क हो गया तो तमाम नए पहलू सामने आएंगे। दरअसल लैंडर और रोवर के दोबारा जागने पर इसरो वैज्ञानिक डेटा एक्यूरेसी की उम्मीद कर रहे हैं। यानी पहले जो डेटा मिला, वैसा ही डेटा दोबारा मिलना शुरू हो जाएगा।

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दोनों की समीक्षा से यह पता चलेगा कि कौन ज्यादा सटीक है। विज्ञान में जितना सटीक डेटा वैज्ञानिकों के पास होगा, उन्हें भविष्य के परीक्षणों में उतनी ही आसानी होगी। गौरतलब है कि चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान ने कई अहम सूचनाएं इसरो को भेजी हैं। जैसे इल्सा पेलोड ने चंद्रमा की सतह पर भूकंप रिकॉर्ड किया। एलआईबीएस (लिब्स) ने चांद पर सल्फर, एल्युमिनीयम, कैल्शियम, आयरन, क्रोमियम, टाइटेनियम की मौजूदगी की सूचना दी। साथ ही मैगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन के सतह पर मौजूद होने के बारे में बताया। रंभा-एलपी ने सतह पर प्लाज्मा होने पर कम घना होने की सूचना दी। चास्ट ने सतह पर तापमान के बारे में बताया।

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