आरयू वेब टीम। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक के बाद एक नए रिकॉर्ड बना रहा है। इसरो ने बुधवार को अपना 100वां मिशन लॉन्च कर इतिहास रच दिया। दरअसल, भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने बुधवार सुबह आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी- एफ 15 (जीएसएलवी-F15) रॉकेट से नेविगेशन सैटेलाइट (NVS-02) की सफल लॉन्चिंग की। इस मिशन में नाविक के तहत दूसरी पीढ़ी के पांच उपग्रहों को शामिल किया गया है।
बुधवार को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी-F15 रॉकेट के लॉन्च किए गए नेविगेशन सैटेलाइट (NVS-02) का काम परिवहन में उचित ट्रैकिंग और मार्गदर्शन करना है, जिससे हवाई और समुद्री यातायात को कुशलतापूर्वक ट्रैक किया जा सकेगा। साथ ही इस उपग्रह से सैन्य अभियानों को अंजाम देने के लिए सुरक्षित, स्थानीय नेविगेशन होने से रक्षा क्षमताओं को भी बढ़ावा मिलेगा।
इसके साथ ही इस उपग्रह के द्वारा भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ भारतीय भूभाग से करीब 1,500 किमी आगे के क्षेत्रों में यूजर्स को सटीक स्थिति, गति और समय की जानकारी भी मिल सकेगी। एनवीएस-02 सैटेलाइट को नेविगेशन सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए विकसित किया गया है। इसरों के इस मिशन के तहत नाविक के दूसरी पीढ़ी के पांच उपग्रहों को लॉन्च किया गया है। इस मिशन के पहले चरण की लॉन्चिंग 29 मई 2023 को की गई थी। तब जीएसएलवी-एफ12 के जरिये एनवीएस-01 को लांच किया गया था। इस सैटेलाइट को यूआर सैटेलाइट सेंटर द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है।
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इस उपग्रह का वजन करीब 2,250 किलोग्राम है। इसमें एनवीएस-01 की तरह ही सी-बैंड में रेंजिंग पेलोड के साथ एल1, एल5 और एस बैंड में नेविगेशन पेलोड लगाए हैं। एनवीएस-02 उपग्रह परिवहन, रक्षा और रसद में भारत की मदद करेगा। इससे कृषि, उपग्रहों के लिए कक्षा निर्धारण, मोबाइल उपकरणों में लोकेशन आधारित सेवाएं, आपातकालीन सेवाओं में भी मदद मिलेगी।