आरयू वेब टीम। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद आज से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख आधिकारिक तौर पर दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गए। इसी साल पांच अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल लाकर जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था।
इस संबंध में गृह मंत्रालय ने बुधवार रात को ही अधिसूचना जारी कर दी थी। देर रात जारी अधिसूचना में मंत्रालय के जम्मू-कश्मीर संभाग ने प्रदेश में केंद्रीय कानूनों को लागू करने समेत कई अन्य घोषणा की, जिसमें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों की अगुवाई उपराज्यपाल (एलजी) गिरीश चंद्र मुर्मू और आर के माथुर करेंगे।
यह पहली बार है जब किसी राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में तब्दील किया गया है। इस सिलसिले में श्रीनगर और लेह में दो अलग-अलग शपथ ग्रहण समारोहों का आयोजन किया गया। पहला समारोह लेह में हुआ, जहां आरके माथुर ने शपथ ली और बाद में श्रीनगर में शपथ ग्रहण समारोह होगा, जिसमें मुर्मू पदभार ग्रहण करेंगे। जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस गीता मित्तल ने माथुर को शपथ दिलाई है। इसी के साथ ही देश में राज्यों की संख्या 28 रह गई और केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या बढ़कर नौ हो गई है।
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यह बिल 30 अक्टूबर रात 12 बजे से लागू हो गया। अनुच्छेद-370 के तहत मिले विशेष दर्जे को संसद द्वारा समाप्त किए जाने के 86 दिन बाद यह निर्णय प्रभावी हुआ है। इसके तहत जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी, जबकि लद्दाख में बिना विधानसभा या विधान परिषद के केंद्र शासित प्रदेश बना। राज्य का पुनर्गठन होते ही जम्मू-कश्मीर में 20 और लद्दाख में दो जिले होंगे । इसके साथ ही केंद्र के 106 कानून भी इन दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में लागू हो गए, जबकि राज्य के पुराने 153 कानून खत्म हो गए।
अब जम्मू-कश्मीर के संविधान और रणबीर दंड संहिता का अस्तित्व गुरुवार से खत्म हो जाएगा जब राष्ट्र पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती मनाने के लिए ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ मनाएगा।
आज से जम्मू-कश्मीर में हुए बदलाव
1- अब तक पूर्ण राज्य रहा जम्मू-कश्मीर गुरुवार यानी 31 अक्टूबर से दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बदल गया। जम्मू-कश्मीर का इलाका अलग और लद्दाख का इलाका अलग-अलग दो केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं।
2- जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन कानून के तहत लद्दाख अब बिना विधानसभा के केंद्र शासित प्रदेश और जम्मू-कश्मीर विधानसभा सहित केंद्र शासित प्रदेश बन गया है।
3- अब तक जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल पद था, लेकिन अब दोनों केंद्रशासित प्रदेशों में उप-राज्यपाल होंगे। जम्मू-कश्मीर के लिए गिरीश चंद्र मुर्मू तो लद्दाख के लिए राधा कृष्ण माथुर को उपराज्यपाल बनाया गया है।
4- अभी दोनों राज्यों का एक ही हाईकोर्ट होगा लेकिन दोनों राज्यों के एडवोकेट जनरल अलग होंगे। सरकारी कर्मचारियों के सामने दोनों केंद्र शासित राज्यों में से किसी एक को चुनने का विकल्प होगा।
5- राज्य में अधिकतर केंद्रीय कानून लागू नहीं होते थे, अब केंद्र शासित राज्य बन जाने के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दोनों राज्यों में कम से कम 106 केंद्रीय कानून लागू हो पाएंगे।
6- इसमें केंद्र सरकार की योजनाओं के साथ केंद्रीय मानवाधिकार आयोग का कानून, सूचना अधिकार कानून, एनमी प्रॉपर्टी एक्ट और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से रोकने वाला कानून शामिल है।
7- जमीन और सरकारी नौकरी पर सिर्फ राज्य के स्थाई निवासियों के अधिकार वाले 35-ए के हटने के बाद केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में जमीन से जुड़े कम से कम सात कानूनों में बदलाव होगा।
8- राज्य पुनर्गठन कानून के तहत जम्मू-कश्मीर के करीब 153 ऐसे कानून खत्म हो जाएंगे, जिन्हें राज्य के स्तर पर बनाया गया था। हालांकि 166 कानून अब भी दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में लागू रहेंगे।
प्रशासनिक और राजनैतिक व्यवस्था में भी बदलाव
9- राज्य के पुनर्गठन के साथ राज्य की प्रशासनिक और राजनैतिक व्यवस्था भी बदल रही है। जम्मू-कश्मीर में जहां केंद्र शासित प्रदेश बनाने के साथ साथ विधानसभा भी बनाए रखी गई है। वहां पहले के मुकाबले विधानसभा का कार्यकाल छह साल की जगह देश के बाकी हिस्सों की तरह पांच साल का ही होगा।
10- विधानसभा में अनुसूचित जाति के साथ साथ अब अनुसूचित जनजाति के लिए भी सीटें आरक्षित होंगी।
11- पहले कैबिनेट में 24 मंत्री बनाए जा सकते थे, अब दूसरे राज्यों की तरह कुल सदस्य संख्या के दस प्रतिशत से ज्यादा मंत्री नहीं बनाए जा सकते हैं।
12- जम्मू कश्मीर विधानसभा में पहले विधान परिषद भी होती थी, वो अब नहीं होगी, हालांकि राज्य से आने वाली लोकसभा और राज्यसभा की सीटों की संख्या पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
13- केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर से 5 और केंद्र शासित लद्दाख से एक लोकसभा सांसद ही चुन कर आएगा। इसी तरह से केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर से पहले की तरह ही राज्यसभा के चार सांसद ही चुने जाएंगे।
परिसीमन की प्रक्रिया शुरू कर सकता है चुनाव आयोग
14- एक बड़ी बात ये भी है कि 31 अक्टूबर के बाद चुनाव आयोग राज्य में परिसीमन की प्रक्रिय शुरू कर सकता है, जिसमें आबादी के साथ भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक बिंदुओं पर ध्यान रखा जा सकता है।
15- जम्मू-कश्मीर में अब तक 87 सीटों पर चुनाव होते थे, जिनमें चार लद्दाख की, 46 कश्मीर की और 37 जम्मू की सीटें थीं। लद्दाख की चार सीटें हटाकर अब केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में 83 सीटें बची हैं, जिनमें परिसीमन होना है।