आरयू वेब टीम।
पश्चिम उत्तर प्रदेश के मेरठ में बीजेपी की राज्य कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक में रविवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह शामिल हुए। उन्होंने 2019 लोकसभा चुनावों में पार्टी नेताओं को 2014 से भी ज्यादा सीट जीतने का संकल्प दिलाया।
इस दौरान अमित शाह ने राज्य के पार्टी नेताओं से कहा कि महागठबंधन से घबराने की जरूरत नहीं है, चुनाव जिताने की जिम्मेदारी मेरी है। बस आप लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी सरकार की योजनाओं को जनता के बीच लेकर जाएं।
मालूम हो कि मेरठ पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति का बड़ा केंद्र है, जहां 21 साल बाद प्रदेश कार्यसमिति का आयोजन किया जा रहा है। इससे पहले कानपुर, मिर्जापुर, चित्रकूट और लखनऊ में प्रदेश कार्यसमिति बैठक हो चुकी है। मेरठ में होने वाली इस बैठक में बीजेपी हाल के दिनों में हुए उपचुनावों में सपा-बसपा-रालोद गठबंधन से मिली हार के बाद इस तिकड़ी को मात देने के लिए आगे की रणनीति तैयार की गई।
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आकड़ों पर गौर करें तो पश्चिमी यूपी की सहारनपुर, बिजनौर, नगीना, मेरठ, मुजफ्फरगर, मुरादाबाद, अलीगढ़, संभल, एटा, फतेहपुर सीकरी, मथुरा ऐसी लोकसभा सीटें हैं जहां 2014 में बीजेपी को जीत मिली थी, लेकिन अन्य दलों का वोट बीजेपी से ज्यादा था। इन दलों के एक साथ आ जाने से बीजेपी की हांसिल करने में खतरा महसूस हो रहा है। लिहाजा बीजेपी की नजर 18 साल पूरा कर पहली बार मतदान करने वाले युवाओं पर टिकी है। रणनीतिकारों का मानना है कि जिस तरह 2014 और 2017 में युवाओं के बल पर बीजेपी सत्ता में आई उसी तरह इस बार भी उनको जोड़ने में पार्टी को जोर लगाना होगा।
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बीजेपी के रणनीतिकारों का मानना है कि संयुक्त विपक्ष के सपा-बसपा-कांग्रेस-रालोद गठबंधन को मात देने के लिए बीजेपी कार्यकर्ताओं को किसी भी हाल में हर सीट पर 51 फीसदी वोट के लक्ष्य को ध्यान में रखकर अपनी रणनीति तैयार करनी होगी। प्रदेश की तकरीबन 46 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां सपा-बसपा-कांग्रेस-रालोद के वोट जोड़ने पर बीजेपी से ज्यादा है। यही बीजेपी के यूपी मिशन 73+ के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय भी है।
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