हाथरस सत्संग कांड: कड़ी सुरक्षा के बीच न्यायिक आयोग के सामने पेश हुआ नारायण साकार

बाबा नारायण साकार
पेशी के लिए जाता बाबा नारायण साकार। (फोटो- आरयू)

आरयू ब्यूरो, लखनऊ। 121 श्रद्घालुओं की जान लेने वाले हाथरस सत्‍संग कांड में बाबा नारायण साकार हरि गुरुवार को लखनऊ स्थित सचिवालय में न्यायिक आयोग के सामने पेश हुआ। इस दौरान भारी सुरक्षा व्यवस्था का प्रबंध किया गया था। अपने भक्तों के बीच भोले बाबा के नाम से प्रसिद्घ नारायण हरि भाजपा का झंडा लगी सफेद रंग की फॉर्च्यूनर गाड़ी से न्यायिक आयोग पहुंचा। गाड़ी विधायक बाबूराम पासवान की बताई जा रही है जो कि दारुलशफा विधायक निवास के 17 ए पर पंजीकृत है।

नारायण सरकार से न्यायिक आयोग में दो घंटे तक पूछताछ की गई। इसके बाद बाबा बाहर निकल गया, हालांकि भोले बाबा ने मीडिया से कोई भी बात नहीं की। नारायण सरकार के वकील एपी सिंह ने मीडिया को जानकारी दी कि न्यायिक आयोग ने जो भी सवाल पूछे उन सब के जवाब भोले बाबा ने दिया हैं, जिन लोगों की मौत हुई थी उनके लिए अफसोस जताया गया है। वह उनके खुद के लोग थे।

साथ ही कहा कि ये महज एक घटना थी इसके बारे में बाबा को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। वकील ने बताया कि उन्होंने न्यायिक आयोग से साफ कहा कि जो भी इसमें दोषी हो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए और जो निर्दोष हो वे नहीं फंसने चाहिए। इसके पीछे कोई गहरी साजिश हो सकती है जिसकी गंभीरता पूर्वक जांच की जानी चाहिए।

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इससे पहले न्यायिक आयोग के ऑफिस के आस-पास के इलाके में बड़ी संख्या में यूपी पुलिसबल और केंद्रीय रिजर्व पुलिस के जवानों की तैनाती की गई। पूरे इलाके की चारों तरफ से बैरिकेडिंग की गई, इलाके को हाई सिक्युरिटी जोन बनाया गया। हालांकि, विधानसभा के सामने सुबह भोले बाबा के समर्थकों ने जुटने की कोशिश तो कि, लेकिन पुलिस ने सबको हटा दिया।

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ये था मामला-

बीती जुलाई को हाथरस के सिकंदराराऊ के गांव फुलरई मुगलगढ़ी में नारायण साकार हरि भोले बाबा उर्फ सूरजपाल के सत्संग में मची भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई थी। उनका काफिला निकालने के लिए सेवादरों ने भीड़ को रोक दिया था, इस दौरान उनकी चरण रज लेने की होड़ में लोग गिरते गए। इस मामले में पुलिस ने 11 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था।

इन लोगों को बनाया गया था आरोपित

इस हादसे में मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर सहित अन्य सेवादारों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या, प्राण घातक हमला करने, गंभीर चोट पहुचाने, लोगों को बंधक बनाने, निषेध्याज्ञा का उल्लंघन करने और साक्ष्य छिपाने की धाराओं में मामला दर्ज किया गया था। इन पर यह भी आरोप था कि सत्संग में 80 हजार लोगों के जुटने की शर्त का उल्लंघन कर ढाई लाख लोगों की भीड़ जुटाई। यातायात प्रबंधन में भी मदद नहीं की। मामले में पुलिस ने एक अक्टूबर को चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी है। 3200 पेज की इस चार्जशीट में 11 लोगों को आरोपित बनाया गया था।

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ये हुए थे गिरफ्तार

घटना के बाद पुलिस ने पुलिस मुख्य आरोपित देव प्रकाश मधुकर, मेघ सिंह, मुकेश कुमार, मंजू देवी,मंजू यादव, राम लड़ेते, उपेंद्र सिंह,संजू कुमार, राम प्रकाश शाक्य, दुर्वेश कुमार और दलवीर सिंह को गिरफ्तार किया था। इनमें महिला मंजू देवी और मंजू यादव की हाई कोर्ट से अंतरिम जमानत स्वीकृत हो चुकी है। इनमें जमानत का सत्यापन नहीं होने और आदेश कोर्ट में नहीं पहुंचने के कारण अभी वह रिहा नहीं हो पाई है।

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