आरयू वेब टीम। कांग्रेस सरकार ने केंद्र की मोदी सरकार पर अत्याचार और आर्थिक नाइंसाफी का आरोप लगाते हुए मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस सरकार ने मोदी सरकार पर राज्य को संसाधनों और धन का उचित हिस्सा नहीं देने के आरोप लगाए हैं। अपनी इन्हीं मांग को लेकर बुधवार को कर्नाटक सरकार के मंत्री और विधायकों ने नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर अपना विरोध-प्रदर्शन शुरू किया।
प्रदर्शन में कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार भी शामिल हुए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने बताया कि आखिरी राज्य सरकार को क्यों ये कदम उठाना पड़ा है। उन्होंने उत्तर प्रदेश व बिहार को दिए जाने वाले केंद्र के बजट को लेकर भी मोदी सरकार की मंश पर सवाल उठाएं हैं। मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने कहा कि विरोध राजनीतिक नहीं है। यह राज्य और कर्नाटक के लोगों के हित में किया गया एक विरोध-प्रदर्शन है।”
मीडिया से बात करते हुए सिद्दारमैया ने कहा कि कर्नाटक के लोगों के हितों की रक्षा की जानी चाहिए। “मुझे अभी भी उम्मीदें हैं। सोलहवें वित्त आयोग का गठन हो गया है। यह अन्याय जारी नहीं रहना चाहिए। केंद्र सरकार को अन्याय सुधारना चाहिए। मैंने इस संबंध में विश्वास नहीं खोया है।” ये पूछे जाने पर कि अगर केंद्र सरकार विरोध को नजरअंदाज करती है तो क्या होगा, मुख्यमंत्री ने कहा, “हम लड़ना जारी रखेंगे। हम इस मुद्दे को लोगों तक ले जाएंगे।”
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सीएम सिद्दारमैया ने कहा, “जहां उत्तर प्रदेश को 2.80 लाख करोड़ रुपये और बिहार को एक लाख करोड़ रुपये से अधिक दिए गए हैं। पांच साल पहले कर्नाटक को 50 हजार करोड़ रुपये मिलते थे। आज जब बजट का आकार दोगुना हो गया है, तब भी राज्य को केवल 50,257 करोड़ रुपये मिल रहे हैं। क्या यह अन्याय नहीं है?”
उन्होंने कहा, “यदि संसाधनों का वितरण 1971 की जनगणना के अनुसार किया जाता तो कोई अन्याय नहीं होता, वर्तमान में वितरण 2011 की जनगणना के अनुसार किया जाता है। जिन राज्यों ने जनसंख्या को नियंत्रित नहीं किया है उन्हें अधिक आवंटन किया जाता है।”