काशी विश्‍वनाथ-ज्ञानवापी केस में कोर्ट का आदेश, पुरातत्व विभाग करे सर्वे

ज्ञानवापी मस्जिद

आरयू ब्‍यूरो,वाराणसी। अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अब काशी विश्वनाथ और मथुरा के विवाद तेज होता जा रहा। इसी क्रम में काशी विश्वनाथ और ज्ञानवापी मस्जिद मामले में गुरुवार को कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ और उसी परिक्षेत्र में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने पुरातत्व विभाग को जांच करने का आदेश दिया है। अदालत ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया को अपने खर्चे पर खुदाई करने का निर्देश दिया है। ऑब्जर्वर के नेतृत्व में पांच सदस्यीय कमेटी गठन करने को भी कहा गया है।

पुरातत्व विभाग की जांच के लिए काशी विश्वनाथ की ओर से याचिका दी गई थी। इस याचिका पर हुई पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने आज काशी विश्वनाथ पक्षकारों की याचिका को स्वीकार करते हुए पुरातत्व विभाग को जांच सौंप दी है। जानकारी के मुताबिक कोर्ट ने पांच सदस्यीय टीम का गठन किया है। इस फैसले को काशी विश्वनाथ की बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है।

पिछले दो वर्षों से भी ज्यादा वक्त से पूरे ज्ञानवापी मस्जिद क्षेत्र के पुरातात्विक सर्वे की मांग करने वाले प्रार्थना पर फैसला अचानक तेजी से सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट ने अपने ट्रांसफर होने के ठीक पहले सुनवाई के दौरान दिया है। कोर्ट ने वादी काशी विश्वनाथ मंदिर पक्ष की ओर से 1991 से चल रहे इस मामले में दिसंबर 2019 को पुरातात्विक सर्वे की मांग को स्वीकार करते हुए पूरे ज्ञानवापी मस्जिद क्षेत्र का पुरातात्विक सर्वे का आदेश दिया है।

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वहीं कुछ दिनों पहले ही संबंधित सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रेक कोर्ट आशुतोष तिवारी के ट्रांसफर ऑर्डर वाराणसी से शाहजहांपुर का आ चुका है, लेकिन जज आशुतोष तिवारी को नौ अप्रैल को अपना चार्ज हैंडओवर करना है। इससे पहले ही उन्होंने इस मामले में अपना फैसला सुना दिया है। इस फैसले को मंदिर पक्षकारों के हित में बड़ा फैसला बताया जा रहा है।

इस बारे में काशी विश्वनाथ मंदिर के पक्षकार और वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि औरंगजेब ने अपने शासन के दौरान काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ने का फरमान जारी किया था, लेकिन उस फरमान में वहां मस्जिद कायम करने का फरमान कहीं से भी नहीं दिया गया था, लेकिन फिर भी यह विवादित ढांचा वहां बना दिया गया। वादी पक्ष का कहना है कि विवादित ढांचा काशी विश्वनाथ मंदिर की जगह पर ही बनाया गया है।

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