आरयू वेब टीम।
सुप्रीम कोर्ट ने आज दक्षिण भारतीय राज्यों तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल के बीच दशकों पुराने कावेरी जल विवाद पर फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इस विवाद पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पानी राष्ट्रीय संपत्ति है, कोई राज्य इस पर दावा नहीं कर सकता। कोर्ट ने कावेरी नदी के पानी का बंटवारा करते हुए कर्नाटक के हिस्से का पानी बढ़ा दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तमिलनाडु को 192 की बजाए 177.25 टीएमसी पानी दिया जाए, वहीं बेंगलुरु को 4.75 टीएमसी पानी दिया जाएगा। कोर्ट ने कर्नाटक के हिस्से के पानी में 14.75 टीएमसी पानी बढ़ाया है। अब कर्नाटक को कुल 285 टीएमसी पानी मिलेगा। कोर्ट ने तमिलनाडु को मिलने वाले पानी की मात्रा को घटा दिया है। इस फैसले से कर्नाटक को फायदा पहुंचा है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि फैसले को लागू कराना केंद्र सरकार का काम है। साथ ही अगले 15 साल के लिए ये फैसला प्रभावी रहेगा।
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जहां एक ओर उच्चतम न्यायालय के इस फैसले पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने खुशी जताई है। वहीं तमिलनाडु को इस फैसले से झटका लगा है। राज्य सरकार ने कहा है कि इस फैसले के अध्ययन के बाद वे आगे की कार्रवाई तय करेंगे। 137 साल पुराने कावेरी जल विवाद को लेकर कर्नाटक-तमिलनाडु और केरल आमने-सामने हैं। वहीं एआईएडीएमके ने इस फैसले पर नाखुशी जताई है। पार्टी इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकती है।
बंगलुरु में सुरक्षा कड़ी
कावेरी विवाद तीन राज्यों के बीच तनाव का कारण लंबे समय से रहा है। इसके मद्देनजर फैसले से पहले तीनों राज्यों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। बंगलुरु के पुलिस आयुक्त टी. सुनील कुमार ने बताया कि 15 हजार पुलिसकर्मियों को ड्यूटी पर तैनात किया जाएगा। इसके अलावा कर्नाटक राज्य रिजर्व पुलिस के कर्मी और अन्य सुरक्षा बलों को भी तैनात किया जाएगा। विशेष ध्यान संवेदनशील इलाकों पर दिया जाएगा जहां पहले हिंसक वारदातें हो चुकी हैं।
इसके अलावा होसुर में दो डीएसपी और 100 जवानों की तैनाती की गई है। हाईलेवल मीटिंग कर लगातार स्थिति की निगरानी की जा रही है। तमिलनाडु में भी इस फैसले को लेकर सरकार अलर्ट है। तमिलनाडु में पांच लाख किसान, खेती से जुड़े 18 लाख कामगार, सिंचाई और तमाम क्षेत्रों से जुड़े लोग कावेरी विवाद से संबंध रखते हैं। चेन्नई में भी सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।
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बता दें कि प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर तथा न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़़ की पीठ ने पिछले वर्ष 20 सितंबर को कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल की तरफ से दायर अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। तीनों राज्यों ने कावेरी जल विवाद अधिकरण (सीडब्ल्यूडीटी) की तरफ से 2007 में जल बंटवारे पर दिए गए फैसले को चुनौती दी थी।