आरयू ब्यूरो, लखनऊ। प्लाटों की फर्जी रजिस्ट्री के लिए बदनाम एलडीए की ट्रांसपोर्ट नगर योजना के गुनाहगारों के चेहरे जल्द ही बेनकाब हो सकते हैं। संरक्षणदाताओं के चलते अब तक बचते आ रहे फर्जी रजिस्ट्री गैंग के मास्टर माइंड व मोहरों पर कार्रवाई करने के लिए एलडीए वीसी इंद्रमणि त्रिपाठी ने आज अफसरों के साथ बैठक कर कई जरूरी निर्देश दिए हैं। उपाध्यक्ष ने ट्रांसपोर्ट नगर का काम देख रहे नजूल अधिकारी अरविंद त्रिपाठी व उप सचिव अतुल कृष्ण समेत अन्य अफसरों को सात दिन के अंदर योजना की सभी संदिग्ध फाइलों की जांच पूरी करने का निर्देश देते हुए कहा है कि जो भी लोग इस मामले में दोषी मिलते हैं उनके खिलाफ विभागीय व कानूनी कार्रवाई कराएं। इसके अलावा योजना में ग्राउंड सर्वे कर रही टीम को प्लॉटों तथा स्थल पर मौजूद निर्माणों की वीडियोग्राफी कराने के निर्देश दिए हैं।
कई सालों से पूरी नहीं हो पा रही जांच, जालसाजों का मिल रहा फायदा
बताते चलें कि ट्रांसपोर्ट नगर में एक-दो नहीं बल्कि सैकड़ों कॉमर्शियल प्लॉटों की फर्जी रजिस्ट्री, फाइलें चोरी करने व अन्य गड़बड़ी की बात लंबे समय से सामने आ रही, हालांकि एलडीए के अधिकारियों की लापरवाही या फिर मिलीभगत के चलते इस योजना की जांच तमाम दावों के बाद भी कई सालों से पूरी नहीं हो पा रही। इस वजह से प्लॉटों की फर्जी रजिस्ट्री करने वाले गैंग के मुख्य सरगना व महत्वपूर्ण मोहरे लगातार कार्रवाई से बच जा रहें हैं। ट्रांसपोर्टरों की दर्जनों शिकायतों के बाद भी मार्च 2021 से अब तक मात्र 13 ही प्लॉटों की फर्जी रजिस्ट्री के मामले में एलडीए कई बाहरी जालसाजों व अपने बाबूओं पर मुकदमा दर्ज करा चुका है।
दो गैंग ने की फर्जी रजिस्ट्री, अंदर तक जुड़े तार!
सूत्रों की मानें तो फर्जी रजिस्ट्री करने में माहिर एक-दूसरे की धुर विरोधी दो गैंग ने प्लॉटों की बड़े पैमाने पर फर्जी रजिस्ट्री की है, लेकिन गैंग के तार एलडीए की कुर्सी पर बैठे अफसर व बाबूओं तक जुड़े होने के चलते उनपर कार्रवाई होने से पहले ही कोई न कोई अड़चन डाल दी जा रही है।
कंपनी ने चिन्हित किए 1925 प्लॉट, 371 की फाइल ही गायब
वहीं आज बैठक में ट्रांसपोर्ट नगर का सर्वे कर रही कंसलटेंसी कंपनी टीसीएस के प्रतिनिधियों ने भी योजना की ग्राउंड सर्वे रिपोर्ट पेश की। जिसमें बताया गया कि ले-आउट के आधार पर फेज-वन व फेज-टू में कुल 1925 प्लॉट चिन्हित हुए हैं। जिनमें से एलडीए के पास 1554 प्लॉटों की डिटेल मौजूद है, शेष 371 भूखंडों की फाइल ही नहीं मिल रही है।
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इस पर वीसी ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि जिन 1554 प्लॉटों की फाइल मौजूद हैं, उनकी डिटेल दो दिन के अंदर कंपनी को उपलब्ध कराएं। बाकी 371 प्लॉटों के बारे में जांच कर नियमानुसार कार्यवाही करें।
तीन दिन में कंप्यूटराइज कराएं 568 फाइल
एलडीए अफसर व बाबूओं की लापरवाही और भ्रष्टाचार के चलते बदनाम हो चुकी ट्रांसपोर्टनगर योजना की समीक्षा में आज यह भी पाया गया कि प्राधिकरण के स्तर से 985 संपत्तियों का रिकॉर्ड कम्प्यूटराइज किया गया है, जबकि 568 फाइलों की डिटेल अभी भी कम्प्यूटर पर दर्ज नहीं है। इस पर उपाध्यक्ष ने संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों को तीन दिन के अंदर 568 पत्रावलियों को कम्प्यूटराइज करने का अल्टीमेटम दिया।
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दस अनुभवी कर्मी भी करेंगे सहायता
उपाध्यक्ष ने निर्देश दिये कि जिन 1554 प्लॉटों की फाइलें उपलब्ध हैं, उनमें संदिग्ध लगने वाली फाइलों की गहनता से जांच कराएं। इसके लिए ट्रांसपोर्ट नगर योजना का काम देख रहे बाबूओं के साथ ही संपत्ति अनुभाग के दस अनुभवी कर्मचारियों (जो दागी न हो) की ड्यूटी लगाकर सात दिन में जांच पूरी करें। जांच में जिस भी फाइल में फर्जी रजिस्ट्री व अन्य गड़बड़ी मिलती है, उनमें विभागीय व एफआइआर कराने जैसी कार्रवाईयों को नियमानुसार कराया जाए।
बैठक में अपर सचिव ज्ञानेन्द्र वर्मा, मुख्य अभियंता एके सिंह, नजूल अधिकारी अरविंद त्रिपाठी, विशेष कार्याधिकारी रामशंकर, उप सचिव अतुल कृष्ण समेत अन्य अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे।