नौ महीने में अपने 20 में से एक भी प्‍लॉट की फर्जी रजिस्‍ट्री कैंसिल नहीं करा सका एलडीए, ये लापरवाही है या कुछ और…

एलडीए

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण में लाखों रुपये जमा करने के बाद भी अपने प्‍लॉट पर कब्‍जा पाने के लिए भले ही आवंटी सालों से भटके रहें हैं। इसके बावजूद गोमतीनगर व प्रियदर्शिनी समेत तीन योजनाओं में 20 प्‍लॉटों की फर्जी रजिस्‍ट्री का मामला सामने आने के करीब नौ से 15 महीने बाद भी एलडीए के अफसर जालसाजों द्वारा कराई 20 में से एक भी रजिस्‍ट्री आज तक कैंसिल नहीं करा सके हैं। हाल ही में गोमतीनगर के विकास खंड स्थित एलडीए के एक और भूखंड की फर्जी रजिस्‍ट्री का मामला सामने आने के बाद अधिकारियों की लापवारही या फिर फर्जी रजिस्‍ट्री कराने वाले गैंग को बढ़ावा देने वाली इस कारस्‍तानी का खुलासा हुआ है। मामला खुलने के बाद एलडीए के जिम्‍मेदार अफसर खुलकर बोलने से कतरा रहें हैं।

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उल्‍लेखनीय है कि गोमतीनगर के 13 प्‍लॉटों की फर्जी रजिस्‍ट्री का खुलासा होने पर पिछले साल नौ अक्‍टूबर को एलडीए ने रजिस्‍ट्री सेल में तैनात अपने बाबू पवन कुमार समेत इस फर्जी खरीद-बेच में शामिल करीब दो दर्जन आरोपितों के खिलाफ गोमतीनगर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था। पवन कुमार की जहां रजिस्‍ट्री कराने में भूमिका सामने आई थी वहीं यह भी पता चला था कि इन प्‍लॉट के फर्जी मालिकों के नाम बाबू अजय प्रताप वर्मा व श्रीकृष्‍ण की कंप्‍यूटर आइडी से एलडीए के रिकॉर्ड में दर्ज किए गए थे।

कोर्ट बंद होने से ठीक पहले दायर हुआ वाद

वहीं दो दिन पहले गोमतीनगर में एक बार फिर प्‍लॉट की फर्जी रजिस्‍ट्री का मामला सामने आने के बाद लगभग आठ महीने बाद नींद से जागे एलडीए के अफसरों ने 13 में से 12 प्‍लॉटों की फर्जी रजिस्‍ट्री कैंसिल कराने के लिए कल से एक महीने के लिए बंद हो रही कोर्ट में 30 मई को वाद दायर कराया है।

सीविल सूट दायर करने वाले अधिवक्‍ता का कहना है कि जांच में सामने आया है कि 13 में से एक प्‍लॉट को एलडीए पहले ही बेच चुका था, इसलिए 12 रजिस्‍ट्री निरस्‍त करने के लिए वाद दायर किया गया है। इस प्रक्रिया में एलडीए के करीब छह लाख रुपए खर्च होंगे, जबकि आगे की कार्रवाई जुलाई में कोर्ट खुलने पर होगी।

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वहीं इस बारे में गोमतीनगर योजना के प्रभारी ओएसडी अमित कुमार राठौर का दावा है कि उन्‍होंने अपने स्‍तर से कार्रवाई कर दी थी, रजिस्‍ट्री कैंसिल कराने का काम एलडीए के विधि अनुभाग का है।

कैंसिल कराना तो दूर, शुरूआत भी नहीं हुई

गोमतीनगर के अलावा नौ महीने बीतने के बाद भी प्रियदर्शिनी नगर सेक्‍टर सी के चार प्‍लॉटों की फर्जी रजिस्‍ट्री कराने के मामले में अपने बाबू अजय प्रताप वर्मा व श्रीकृष्‍ण समेत नौ आरोपितों पर मुकदमा दर्ज कराने के बाद एलडीए के अधिकारी बैठे हैं। अपनी संपत्ति के प्रति अधि‍कारियों की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां 1250 वर्ग फुट के चार प्‍लॉटों की फर्जी रजिस्‍ट्री कैंसिल कराने के लिए अफसर आज तक कोर्ट में वाद तक नहीं दायर करा सके हैं।

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पांच महीना बाबू, चार महीना वकील के पास पड़ी रहीं फाइल

सामने आया है कि इस मामले में करीब पांच महीने तक योजना का काम देखने वाला बाबू चारों फाइलें दबाए रहा। फरवरी में फाइल वकील के पास पहुंची, लेकिन चार महीने तक उसने भी कोर्ट में केस नहीं फाइल किया। दो दिन पहले चारों प्‍लॉटों की फाइल को अब विधि अनुभाग की ओर से एक अन्‍य वकील को दिया गया है।

15 महीने से किसका इंतजार कर रहें ट्रांसपोर्ट नगर के भूखंड

वहीं फर्जी रजिस्‍ट्री व नियम विरूद्ध समायोजन के लिए एलडीए की बहुचर्चित ट्रांसपोर्ट नगर योजना में हाल तो और भी खराब है। यहां तीन भूखंडों की फर्जी रजिस्‍ट्री के मामले में एलडीए ने पिछले साल चार मार्च को खरीद-बेच में शामिल छह आरोपितों पर गोमतीनगर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था। लगभग 15 महीने बाद भी एलडीए ने इन प्‍लॉटों को रजिस्‍ट्री कैंसिल कराने के नाम पर ऐसे ही छोड़ रखा है।

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तकनीकी दिक्‍कत आने पर हुई देर 

अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा के अनुसार ट्रांसपोर्ट नगर के तीन प्‍लॉटों की फर्जी रजिस्‍ट्री में सभी बाहरी लोग शामिल थे, इसमें एलडीए के किसी कर्मचारी की संलिप्‍ता नहीं मिली थी, ऐसे में एलडीए इन प्‍लॉट को सीधे भी बेच सकता है। विधिक राय लेकर प्‍लॉटों को आवंटित किया जाएगा। वहीं गोमतीनगर के प्‍लॉटों की रजिस्‍ट्री कैंसिल में लगने वाली फीस के वित्‍त विभाग से भुगतान में कुछ तकनीकी दिक्‍कत आने पर देर हुई है, हालांकि अब समस्‍या को दूर करते हुए एक बाबू को भी नामित कर दिया गया है, जल्‍द ही रजिस्‍ट्री कैंसिल करा दी जाएगी।

अफसरों के जाने का इंतजार व प्‍लॉट फंसाने का तो नहीं चल रहा खेल!

अधिकारी भले ही अपने 20 प्‍लॉटों को अब तक जालसाजों के चंगुल से पूरी तरह आजाद नहीं कराने के पीछे तमाम तर्क दे रहें हैं, लेकिन एलडीए के ही जानकारों की मानें अधिकारियों की लापरवाही के चलते फर्जी रजिस्‍ट्री कराने वाले गैंग के मद्दगार आज भी एलडीए के संपत्ति अनुभाग की महत्‍वपूर्ण कुर्सियों पर बैठे हैं। जो फर्जी रजिस्‍ट्री पकड़ने में कार्रवाई कराने में अहम भूमिका निभाने वाले एलडीए वीसी व सचिव के तबादले का इंतजार कर रहें। अफसरों के जाते ही न सिर्फ इन प्‍लॉटों पर जालसाजों का एक बार फिर से कब्‍जा हो जाएगा, बल्कि विधिक कार्रवाई में फंसा भूखंडों का मामला भी छोटी से बड़ी अदालतों में दशकों तक खीचा जा सकेगा।