आरयू ब्यूरो, लखनऊ। बड़े अवैध निर्माणों की तमाम शिकायतों के बाद भी कार्रवाई की जगह उसको संरक्षण देने के लिए लखनऊ विकास प्राधिकरण के अफसर-इंजीनियरों का आए दिन बदनाम होना जगजाहिर है, लेकिन अगर वह चाहे तो किसी भी अवैध निर्माण पर बिजली सी तेजी दिखाते हुए सील भी कर सकते हैं। यह बात भी सामने आती रही है। ऐसा ही एक कारनामा प्रवर्तन जोन छह से सामने आया है। यहां एलडीए से नक्शा पास कराने के बाद भी घर बनवाना डॉ. आशीष द्विवेदी के लिए सिरदर्द बन गया है। प्रवर्तन की टीम ने न सिर्फ मात्र दो दिन में कागजी कार्रवाई पूरी कर नक्शा ही नहीं पास कराने का आरोप लगा उनके निर्माणाधीन मकान को सील कर दिया, बल्कि कमिश्नर रोशन जैकब के सील खोलने के निर्देश के बाद भी पीड़ित को प्राधिकरण के चक्कर लगवा रहा है।
यह है मामला-
पेशे से डॉक्टर आशीष द्विवेदी कुछ समय से निशातगंज में करीब 18 सौ वर्ग फिट में अपना घर बनवा रहे थे। इस बीच बीती दो जनवरी को उन्हें प्रवर्तन जोन छह की ओर से कारण बताओ नोटिस देते हुए छह जनवरी को विहित प्राधिकारी कार्यालय में जवाब देने के लिए कहा गया था।
अपनी भी नोटिस की बात नहीं मानी…
अशीष द्विवेदी ने बताया कि छह जनवरी को वह विहित प्राधिकारी को नोटिस का जवाब देते इससे पहले ही तीन जनवरी को न सिर्फ उनके मकान का आनन-फानन में सीलिंग आदेश जारी कर दिया गया, बल्कि उसके ठीक अगले ही दिन सीलिंग की कार्रवाई भी इंजीनियरों ने पूरी करने के साथ ही मीडिया में भी गलत सूचना जारी कर उन्हें ऐसे बदनाम करा दिया गया जैसे वह अवैध निर्माण कराने वाले कोई बहुत बड़े बिल्डर हों।
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वहीं इस पूरी कार्रवाई में प्रवर्तन टीम की बड़ी धांधली भी सामने आयी है। डॉक्टर आशीष ने बताया कि एलडीए ने उनपर नक्श नहीं पास कराने का झूठा आरोप लगाया है, जबकि उन्होंने करीब डेढ़ लाख रुपए खर्च कर एलडीए से ही न सिर्फ घर का नक्शा पास कराया था, बल्कि उसकी जानकारी क्षेत्रिय जेई शिव कुंवर को देने के साथ ही मौके पर परमिट संख्या का बैनर भी लगवाया था, लेकिन अधिकारियों ने एकतरफा कार्रवाई करने के न जाने किस जूनून में सबकुछ दरकिनार कर दिया।
गुहार लगाने पर कमिश्नर ने दिया था तत्काल सील खोलने का निर्देश
आशीष ने बताया कि साइड सेटबैक कवर करने की बात एलडीए कह रहा, जबकि वहां सीढि़यों का कुछ हिस्सा आ रहा, अगर उन्हें पता होता कि एलडीए को उनकी सीढ़ी इतनी खटक जाएगी तो वह पहले ही उसे तोड़ देते, लेकिन उन्हें अपनी बात रखने का मौका ही नहीं दिया गया। अब चार जनवरी से आज तक वह अपना काम छोड़कर हर दिन एलडीए अधिकारियों के चक्कर लगा रहें फिर भी सील नहीं खोली जा रही। उन्होंने एलडीए में ही 11 जनवरी को अपनी दिक्कत कमिश्नर रोशन जैकब को भी बताई थी, जिसपर गंभीरता दिखाते हुए मंडलायुक्त ने अधिकारियों को उसी दिन सील खोलने का सख्त निर्देश भी दिया था, लेकिन आज तक मामला कागजों से आगे नहीं बढ़ सका है।
धमकी मिल रही एलडीए में मेरे रिश्तेदार, आगे भी रहोगे परेशान
वहीं डॉक्टर आशीष ने आशंका जताई उन पर कार्रवाई मोहल्ले के ही एक दबंगों के इशारे पर की गयी है। उनका यह भी कहना है कि खुद अवैध तरीके से बनाए मकान में रहने वाले मनबढ़ उन्हें धमका रहें हैं कि एलडीए की कुर्सी पर उनके कुछ रिश्तेदार बैठे हैं, वह उन्हें आगे भी इसी तरह परेशान करते रहेंगे।
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वहीं इस मामले में विहित प्राधिकारी डीके सिंह का कहना है कि सेटबैक कवर करने की पड़ोसियों की शिकायत पर जांच के बाद निर्माण सील किया गया था। अब नक्शा देखकर नियमानुसार सील खोलने की भी कार्रवाई की जा रही है। किसी को बेवजह नहीं परेशान किया जाएगा।