एलडीए में बदली “मुकदमा कराओ, भूल जाओ” वाली कार्यशैली, वीसी ने प्राधिकरण की छवि खराब करने व आर्थिक क्षति पहुंचाने वालों पर शिकंजा कसने की बनाई रणनीति

मुकदमा कराओ भूल जाओ
अफसरों के साथ बैठक करते एलडीए उपाध्यक्ष।

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण अपनी इमेज चमकाने व भ्रष्‍टाचार कर एलडीए को आर्थिक क्षति पहुंचाने वाले कर्मचारी व अन्‍य पर लगाम कसने के लिए लगातार कदम उठा रहा। इसी क्रम में एलडीए में सालों से चली आ रही “मुकदमा कराओ, भूल जाओ” वाली कार्यशैली भी अब बदलती नजर आ रही। कुछ महीने पहले एलडीए वीसी का कार्यभार संभालने वाले अक्षय त्रिपाठी ने इस पर प्रभावी कार्रवाई के लिए बैठक कर विधि अनुभाग के अधिकारियों को खास निर्देश दिए हैं, जिससे कि मुकदमों की अधूरी जांच थानों में धूल फांकने की जगह समय से कोर्ट में चार्जशीट के रूप में दाखिल हो जाए।

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करीब सालभर में गोमतीनगर व सरोजनीनगर समेत शहर के विभिन्‍न थानों में प्‍लॉटों की फर्जी रजिस्‍ट्री, अवैध कब्‍जे, फाइलों के गायब होने, एलडीए कर्मियों की कंप्‍यूटर आइडी से संपत्तियों के रेकॉर्ड में अवैध तरीके से बदलाव करने जैसे गंभीर मामलों को लेकर कराए गए 30 मुकदमों में प्रगति की समीक्षा करते हुए एलडीए वीसी ने पुलिस विभाग के विवेचना अधिकारी से समन्वय स्थापित कर संबंधित अधिकारियों को मुकदमों की प्रभावी पैरवी का निर्देश दिया है।

जो भी कर्मचारी शामिल सब पर करें कार्रवाई

आज बैठक में 30 एफआइआर की समीक्षा बैठक में वीसी ने निर्देश देते हुए कहा है कि मामलों में बाहरी लोगों के अलावा एलडीए के जो कर्मचारी शामिल हैं, उनके खिलाफ अब तक क्‍या कार्रवाई की गयी है, उसकी पूरी रिपोर्ट तैयार की जाए। इसके अलावा अगर दर्ज कराए गए मुकदमों में किसी अन्‍य कर्मचारी की संलिप्‍ता सामने आ रही है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई करें।

अपने पास भी रखें रिकॉर्ड

वीसी ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा है कि मुकदमें के विवेचक को पूरी जानकारी के साथ ही जहां तक हो सके मामले से जुड़ी पत्राव‍लियां भी सौंपे। इसके साथ ही पत्रावलियों व जानकारी का डिटेल अपने पास भी रखें, ताकि आवश्‍यकता पड़ने पर काम आ सके।

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गड़बड़ी रोकने की संभावनाओं पर भी कीजिए काम

लविप्रा उपाध्‍यक्ष ने पूर्व में हो चुके घोटाले को ध्‍यान में रखते हुए मातहतों को काम करने के निर्देश दिए हैं। एलडीए वीसी ने बताया कि मुकदमों की प्रभावी पैरवी करने के साथ ही एलडीए का फोकस इस बात पर भी है कि पूर्व में किन कमियों का फायदा उठाकर गड़बड़ी की गयी। उन कमियों को दूर करने के अलावा भविष्‍य में गड़बड़ी होने के संभावित रास्‍तों को भी बंद करने के लिए आइटी समेत अन्‍य बिंदुओं पर काम किया जा रहा, जिससे कि भविष्‍य में फिर इस तरह की गड़बड़ी न हो सके।

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मंगलवार को वीसी अक्षय त्रिपाठी ने इस बारे में बताया कि संपत्ति अधिकारियों को मुकदमों की प्रभारी पैरवी के लिए निर्देश दिए गए हैं। इसी क्रम में बसंतकुंज के छह मामले की एफआइआर के संबंध में नजूल अधिकारी आनंद सिंह ने विवेचक से वार्ता की है, एक-दो दिन में उनके साथ बैठक कर नजूल अधिकारी आइओ को जो भी सहायता या दस्‍तावेज चाहिए होंगे उन्‍हें उपलब्‍ध कराएंगें। इस तरह अन्‍य मामलों में भी एलडीए अपनी ओर से पैरवी करते हुए समय से चार्जशीट दाखिल कराएगा। इसकी पैरवी के लिए वकील भी नियुक्‍त किए गए हैं।

ढूंढे नहीं मिली सालों में दर्ज कराई गयी एफआइआर

भ्रष्‍टाचार के मामलों को लेकर चर्चा में रहने वाले एलडीए के अधिकारी पूर्व में गड़बड़ी करने वालों पर शिकंजा कसने के लिए कितने सतर्क रहते थे, इसका अंदाजा इस बात से ही लग जाता है कि हाल ही में पूर्व के कई सालों में दर्ज कराई गयी एफआइआर का उसके पास कोई रिकॉर्ड ही नहीं था। भ्रष्‍टाचार के दर्जनों मामलों में मुकदमा दर्ज कराने के बाद अक्षय त्रिपाठी ने बीते सालों में दर्ज हुए मुकदमों की भी समीक्षा के लिए जानकारी चाही तो कहीं से जानकारी नहीं मिल सकी।

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अब विधि अनुभाग रख रहा हिसाब

एफआइआर के गुम होने की जानकारी के बाद उपाध्‍यक्ष ने विधि अनुभाग को मुकदमों से जुड़ी जानकारी जुटाने को कहा। काफी कोशिशों के बाद विधि अनुभाग अब तक 30 मुकदमों की डिटेल जुटा सका है। इनमें से लगभग दो दर्जन मुकदमें तो हाल ही के महीनों में कराए गए हैं।

बैठक में एलडीए अपर सचिव ज्ञानेन्द्र वर्मा, नजूल अधिकारी आनन्द कुमार सिंह व उप सचिव माधवेश कुमार समेत अन्य अधिकारी भी मौजूद रहें।