फर्जी रजिस्ट्री गैंग से परेशान एलडीए ने पांच साल बाद फिर शुरू किया सभी संपत्तियों का नामांतरण

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आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण के भूखंड व अन्‍य संपत्तियों की आए दिन फर्जी रजिस्ट्री कराने वाले गैंग पर भले ही एलडीए के अफसर अब तक शिकंजा कसने में फेल रहे हैं, लेकिन आज उन्‍होंने एक कारगर फैसला लेते हुए अपनी सभी संपत्तियों के नामांतरण की प्रक्रिया फिर से शुरू कर दी है। करीब पांच साल पहले तत्‍कालीन एलडीए वीसी प्रभु एन सिंह ने एलडीए द्वारा संपत्तियों का नामांतरण करने पर रोक लगाई थी। शुक्रवार को एलडीए उपाध्यक्ष इंद्रमणि त्रिपाठी ने अपने एक आदेश में जनहित का हवाला देते हुए तत्‍कालीन वीसी के आदेश को निरस्‍त करने के साथ ही नामांतरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इससे एलडीए को आमदनी भी होगी।

उपाध्यक्ष इंद्रमणि त्रिपाठी ने अपना तर्क देते हुए बताया कि एलडीए द्वारा फ्री-होल्ड रजिस्ट्री करने के बाद कई आवंटी अपनी संपत्ति री-सेल करते हैं, जिसमें संपत्ति खरीदने वाला संपत्ति का नामांतरण अपने पक्ष में करने के लिए आवेदन करता है।

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वीसी ने कहा कि इसके अतिरिक्‍त कई मामलों में आवंटी की मौत के बाद उसके उत्तराधिकारी द्वारा नामांतरण के लिए आवेदन किया जाता है। पूर्व में यह कार्यवाही प्राधिकरण द्वारा की जाती थी, लेकिन 24 जनवरी 2018 को जारी एक आदेश के क्रम में नगर निगम को हस्तांरित योजनाओं की फ्री-होल्ड संपत्तियों का म्यूटेशन नगर निगम द्वारा की जाने लगी।

उपाध्यक्ष ने बताया कि वर्तमान में नामांतरण से संबंधित कुछ विपरीत परिस्थितियां उजागर हुईं, जिनमें बाहरी व्यक्तियों द्वारा कूटरचित दस्तावेज तैयार कर प्राधिकरण की विभिन्न संपत्तियों का क्रय-विक्रय कर दिया गया, जिससे फर्जी रजिस्ट्री की स्थिति पैदा हो गयी। बाद में जालसाजों द्वारा फर्जी रजिस्ट्री के आधार पर नगर निगम से कर निर्धारण व नाम परिवर्तन प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर संपत्तियों  का नक्‍शा भी एलडीए से पास करा ले रहे थे।

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वहीं, नगर निगम द्वारा जो नामांतरण पत्र करता, उसमें यह साफ तौर पर उल्लेखित होता है कि यह कर निर्धारण-नाम परिवर्तन प्रमाण पत्र मात्र भवन कर के संबंध में है तथा यह स्वामित्व प्रमाण पत्र नहीं है, जिसके आधार पर आवंटियों को बैंक से संपत्तियों के सापेक्ष लोन लेने में कठिनाई होती है।

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उपाध्यक्ष ने बताया कि इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए नामांतरण के संबंध में नये आदेश जारी किये गये हैं। इसके तहत अब प्राधिकरण द्वारा विकसित की गयी सभी योजनाओं में सृजित/निर्मित संपत्तियों के नामांतरण की कार्यवाही एलडीए ही करेगा।

इसके अलावा प्राधिकरण द्वारा निर्मित जिन अपार्टमेंट्स में आरडब्ल्यूए गठित नहीं है। उनमें नामांतरण की कार्यवाही के लिए विक्रेता (भवन स्वामी) को अंतरण मूल्य का आधा प्रतिशत शुल्क एलडीए को देना होगा।

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