आरयू एक्सक्लूसिव, लखनऊ। लापरवाही, भ्रष्टाचार व अवैध निर्माण कराने के आरोपों के चलते अकसर सुर्खियों में रहने वाले एलडीए में करीब 50 इंजीनियरों की तैनाती में चौंकानें वाली गड़बड़ियां सामने आयीं हैं। शासनादेशों को दरकिनार कर जहां बड़ी संख्या में अभियंत्रण खंड में इंजीनियर तीन साल से अधिक समय से एक ही सीट पर जमे हैं।
वहीं शासन द्वारा तय की गयी अवधि से कई गुना अधिक समय बीतने के बावजूद अवैध निर्माण पर अंकुश के लिए बनाए गए प्रवर्तन अनुभाग के एक ही जोन में एई व जेई कुर्सी से चिपके हैं। इतना ही नहीं एक अन्य शासनादेश का उल्लघंन कर चहेते एई को अधिशासी अभियंता की भी जिम्मेदारी दी गयी है।
नीचें देखें किस अंदाज में मिल रही अभियंताओं को कुर्सी-
एई को एक्सईएन के चार्ज के साथ सौंपीं महत्वपूर्ण योजनाएं
शासनादेश को ठेंगा दिखा चार महीने पहले चीफ इंजीनियर कार्यालय से आदेश जारी कर एई वीपी सिंह को न सिर्फ अधिशासी अभियंता विद्युत यांत्रिक का चार्ज दे दिया गया, बल्कि बसंत कुंज, मोहान रोड, हेरिटेज जोन, लोहिया पार्क, जेपीएनआइसी, गोमतीनगर विस्तार, सीजीसीटी, आइजीपी व जनेश्वर मिश्र पार्क जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं का प्रभारी भी बना दिया।
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एक ही एई पर इतनी दरियादिली देख एलडीए के अधिशासी व सहायक अभियंताओं के अंदर काफी नाराजगी है। सूत्रों का कहना है कि अधिशासी अभियंताओं के बीच काम का बंटवारा भी सिस व ट्रांस गोमती के आधार पर होता था, लेकिन एई पर कृपा बरसाने के चक्कर में न सिर्फ शासनादेश व वरिष्ठ इंजीनियरों को दरकिनार किया गया, बल्कि एलडीए के सिस व ट्रांस गोमती के फॉर्मूले को भी नहीं मानते हुए एक ही सहायक अभियंता को दोनों क्षेत्र की महत्वपूर्ण योजनाएं गिफ्ट कर दी गयीं।
लंबे समय से चल रहा खेल, लेकिन…
एलडीए के जानकार सूत्रों की मानें तो इंजीनियरों की तैनाती में लंबे समय से खेल चल रहा। इसके लिए वीसी तक को गुमराह किया जाता रहा, हालांकि अभिषेक प्रकाश के उपाध्यक्ष बनने के बाद इसमें जरूर कमी आयी है, लेकिन हाल के दिनों में हुई चर्चित जेई ज्ञानेश्वर सिंह व सुरेंद्र द्विवेदी की अनोखी तैनाती ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जहां से हटाए गए वहीं पहुंचे
लगभग सात महीना पहले उद्यान अनुभाग से लौटने के बाद जोन पांच के फैजाबाद व कुर्सी रोड समेत अन्य क्षेत्र में प्रर्वतन देख रहे ज्ञानेश्वर सिंह को इसी महीने जोन एक में भी तैनाती मिल गयी है। इस तरह प्रवर्तन के दो जोन में तैनाती पाने वाले ज्ञानेश्वर सिंह इकलौते जेई बन गए हैं। ज्ञानेश्वर सिंह जोन एक में भी स्थित फैजाबाद रोड के अलावा गोमतीनगर के विक्रांत, विकल्प, विजयंत व वास्तु खंड में होने वाले अवैध निर्माण पर नजर रखेंगे।
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यहां बताते चलें कि पूर्व में गोमतीनगर में ही तैनाती के दौरान वसूली की गंभीर शिकायत पर तत्कालीन उपाध्यक्ष प्रभु एन सिंह ने जनहित का हवाला देते हुए ज्ञानेश्वर सिंह को प्रवर्तन से हटाकर उद्यान अनुभाग भेजा था।
12 दिन में एक जेई को मिली प्रवर्तन के ही दो जोन में तैनाती
फैजाबाद रोड स्थित मर्सिडीज के शो रूम को नियम विरुद्ध तरीके से सील कर एलडीए की किरकिरी कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अवर अभियंता सुरेंद्र द्विवेदी की उद्यान अनुभाग से करीब छह महीने बाद प्रवर्तन में वापसी हो गयी है। एलडीए में जहां बड़ी संख्या में इंजीनियर सालों से एक ही सीट पर जमे हैं। वहीं सुरेंद्र द्विवेदी को बीती 19 जनवरी को प्रवर्तन के जोन एक, जबकि 12 दिन बाद ही कार्यहित का हवाला देते हुए वहां से हटाकर प्रर्वतन के जोन चार में तैनात कर दिया गया है।
अभिषेक प्रकाश ने संभाले कुछ हालात
इंजीनियरों की तैनाती के मामले में वर्तमान में एलडीए के हालात भले ही ठीक न हो, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि चंद महीने पहले हालात बेहद गंभीर थे। लगभग सौ दिन पहले एलडीए उपाध्यक्ष की कुर्सी संभालने के बाद डीएम अभिषेक प्रकाश ने करीब दो दर्जन ऐसे एई व अवर अभियंताओं का क्षेत्र बदला है, जिनकी तैनाती अवधि सालों या फिर महीनों पहले पूरी हो चुकी थी। इसके साथ ही एलडीए वीसी का कहना है कि जल्द ही बाकी बचे इंजीनियरों की तैनाती कार्यहित में कर दी जाएगी।
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क्या है शासन का आदेश
फरवरी 2001 के शासनादेश के अनुसार प्राधिकरण में जेई व एई एक ही जोन में अधिकतम तीन साल तक ही तैनात किए जा सकते हैं। एक बार हटाए जाने के बाद किसी भी परिस्थिति में दोबारा उस क्षेत्र में तैनाती नहीं मिलनी चाहिए।
बोर्ड की मंजूरी के बिना नहीं दिया जा सकता एई को प्रभार
वहीं एई को अधिशासी अभियंता का सीधे प्रभार देने की भी जुलाई 2004 के एक अन्य शासनादेश में सख्ती से मनाही है। शासनादेश के अनुसार बेहद जरूरी होने पर प्रस्ताव बनाकर प्राधिकरण की बोर्ड बैठक से अनुमति लेने के बाद ही किसी भी एई को एक्सईएन का चार्ज दिया जा सकता है।
प्रवर्तन में तैनाती के नियम और भी सख्त
अधिकारियों की लापरवाही व चहेतों पर दरियादिली के चलते वर्तमान में भले ही प्रवर्तन के एक ही जोन में जेई व एई तीन से चार सालों तक जमे हैं, लेकिन अगस्त 2017 में शासन की ओर से जारी किए गए निर्देशों के अनुसार एक एई छह, जबकि जेई तीन महीने से अधिक एक ही जोन या क्षेत्र में तैनात नहीं रह सकता।
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गड़बड़ी पकड़े जाने पर बोले चीफ इंजीनियर, कोई नहीं बचेगा
इंजीनियरों की तैनाती प्रक्रिया पर सवाल उठने पर चीफ इंजीनियर इंदू शेखर सिंह ने दावा किया है कि शासनादेश के आधार पर प्रापोजल बनाया जा रहा। भविष्य में ऐसा कोई इंजीनियर नहीं बचेगा जो तीन साल से ऊपर एक ही जगह पर तैनात रहे। शासनादेश का उल्लंघन कर एई को एक्सईएन का चार्ज देने के सवाल पर मुख्य अभियंता का तर्क है कि अधिशासी अभियंता की कमी की वजह से ऐसा किया गया है, जल्द ही इसे भी ठीक कर लिया जाएगा।
अभियंत्रण खंड में तीन साल से अधिक समय से तैनात इंजीनियर
जोन एक- सहायक अभियंता राजकुमार वर्मा व नरेंद्र कुमार, जेई एपी द्विवेदी, जेपी सिंह, आशीष श्रीवास्तव व राजेश श्रीवास्तव।
जोन दो- एई आलोक सिंह, जेई सुरेश कुमार, अशोक कुमार, ओपी राय व मुकेश कुमार।
जोन तीन- एई राजकुमार व जेई बिजेंद्र कुमार शर्मा।
जोन पांच- एई अजय गोयल व जेई शिव कुंवर।
जोन सात- जेई अब्दुल कदीर व राजेश राय।
अनुरक्षण- जेई शिवशंकर सिंह व दीन दयाल।
मानचित्र सेल- जेई उस्मान खान, आरके अवस्थी व शशि भूषण मिश्र।
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प्रवर्तन के जोन में नियम विरूद्ध महीनों व सालों से जमें एई-जेई
जोन एक- जेई अम्बरीश शर्मा, एचपी गुप्ता, जितेंद्र कुमार व आरके शर्मा।
जोन दो- अवर अभियंता रविंद्र शुक्ला, विनोद शंकर सिंह व चमन त्यागी।
जोन तीन- जेई भानु प्रताप, अंशु व रविंद्र सिंह।
जोन चार- एई राजेश तोमर व जेई सुभाष चंद्र।
जोन पांच- एई एसएन प्रसाद, जेई बिजेंद्र सिंह, अजय महेंद्रा, ज्ञानेश्वर सिंह, संजय शुक्ला व जितेंद्र मोहन।
जोन छह- एई नागेंद्र सिंह व नरेश सिंह शाक्या, जेई शिव प्रताप, नित्यानंद चौबे, कुलदीप त्यागी, भरत पांडेय व सुशील कुमार वर्मा।
जोन सात- एई संजय जिंदल, जेई रवि शंकर राय, मोहन यादव व रवि प्रकाश।
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अभी कई इंजीनियरों के ट्रांसफर किए गए है। इसके अलावा जिन अभियंताओं के नाम छूटे हैं, उनकी भी सूची बनाने के लिए निर्देश दिए जा रहें। कार्यहित में जो भी ट्रांसफर होगें किए जाएंगे। इसके अलावा एई को अधिशासी अभियंता का चार्ज दिए जाने की भी जांच करवाकर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। अभिषेक प्रकाश, डीएम/एलडीए उपाध्यक्ष