लॉकडाउन में फंसे किशोर के लिए मां ने स्‍कूटी से तय कर डाली 14 सौ किलोमीटर की दूरी, तीन दिन में बेटे को लेकर पहुंची घर

निजामाबाद
बेटे को स्‍कूटी पर बैठाकर घर लाती मां।

आरयू वेब टीम। कोरोना वायरस के कहर पर लगाम लगाने के लिए देश भर में लगे लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्‍या मेें लोग अपने परिवारों से दूर फंसे हैं। वहीं लॉकडाउन में फंसे अपने बेटे को घर लाने के लिए एक मां ने ठान लिया। ये मामला तेलंगाना के निजामाबाद का है। जहां मां ने स्‍कूटी से 1400 किलोमीटर सफर किया और अपने 17 साल बेटे को तीन दिन में घर वापस लेकर लौटी।

तेलंगाना के निजामाबाद जिले में रहने वाली 50 साल की रजिया बेगम सोमवार की सुबह काफी मिन्‍नतों के बाद  स्थानीय पुलिस की परमिशन लेकर सोलो राइड के लिए आंध्र प्रदेश के नेल्लौर के लिए निकलीं जो करीब 700 किलोमीटर दूर था। महिला हाइवे की सूनी सड़कों पर स्‍कूटी दौड़ाते हुए नेल्लौर पहुंची और फिर वहां से अपने बेटे को पीछे बैठाकर बुधवार शाम को निजामाबाद अपने घर वापस पहुंचीं।

इस तरह पूरी यात्रा में उन्होंने 1400 किलोमीटर की दूरी तय की, वह भी तीन दिन में यानी करीब 470 किलोमीटर प्रतिदिन स्कूटर चलाया। मीडिया से बात करते हुए रजिया बेगम ने बताया कि टू-व्हीलर से यह एक कठिन यात्रा थी, रात को डर भी लग रहा था जब सड़क पर न तो कोई इंसान था और न ही ट्रैफिक का मूवमेंट, लेकिन बेटे को लाने के दृढ़ निश्चय ने सारे डर को खत्म कर दिया।

रजिया ने कहा कि पहले अपने बड़े बेटे को रहमताबाद भेजने का सोचा, लेकिन फिर लॉकडाउन की सख्ती की वजह से यह विचार कैंसिल कर दिया। फिर कार से जाने की सोची, लेकिन यह आइडिया भी कैंसिल हो गया। अंत में टू-व्हीलर से यह कठिन सफर किया गया।

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उन्‍होंने सफर में आयी कठिनाईयों के बारे में बताया कि रास्ते में खाने के लिए उन्होंने काफी सारी रोटी पैक कर ली थीं। रास्ते में जब प्यास लगती थी तो पेट्रोल पंप पर रुककर प्यास बुझाकर फिर आगे चल देतीं थीं। इस तरह तीन दिन में 1400 किलोमीटर की ड्राइविंग कर 50 साल की रजिया बेगम लॉकडाउन में फंसे अपने बेटे को वापस लाईं।

मालूम हो कि रजिया बेगम निजामाबाद जिले में बोधन कस्बे के एक सरकारी स्कूल में हेडमिस्ट्रेस हैं, जो हैदराबाद से 200 किलोमीटर दूर है। रजिया के पति 15 साल पहले गुजर चुके हैं। उनका बेटा 17 साल का निजामुद्दीन है जो एमबीबीएस के लिए तैयारी कर रहा है। रजिया बेगम, अपने छोटे बेटे निजामुद्दीन को लेने नेल्लौर के रहमताबाद पहुंची थी जहां उसका बेटा फंसा हुआ था। उनका बेटा अपने एक दोस्त को छोड़ने के लिए यहां आया था, लेकिन लॉकडाउन में फंस गया था।

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