आरयू ब्यूरो, लखनऊ। अवैध तरीके से खनन के पट्टे आवंटित करने के मामले में फंसे लखनऊ के पूर्व डीएम व एलडीए वीसी सत्येंद्र सिंह यादव पर मंगलवार को सीबीआइ ने शिकंजा कस दिया है। सीबीआइ की टीमों ने सत्येंद्र सिंह समेत दस लोगों के खिलाफ केस दर्ज करते हुए आज गोमतीनगर व जनपद कौशांबी, गाजियाबाद, कानपुर और नई दिल्ली में पूर्व आइएएस अफसर व उनके करीबियों के नौ ठिकानों पर छापेमारी की है।
टीम को छापेमारी में करोड़ों के गहने, 44 मकान, प्लॉट व व्यवासायिक संपत्तियों के कागजात, 51 लाख की एफडी, 11 लाख रुपए के नए व पुराने नोट के अलावा अन्य जरूरी कागजात व अहम जानकारियां हाथ लगी है। सत्येंद्र सिंह के अलावा सीबीआइ ने कौशांबी निवासी नेपाली निशाद, नर नारायण मिश्रा, रामाकांत द्विवेदी, खेमराज सिंह, मुन्नी लाल, शिव प्रकाश सिंह, योगेंद्र सिंह व प्रयागराज निवासी राम प्रताप सिंह के खिलाफ भी केस दर्ज किया है।
सीबीआइ की शुरूआती जांच के अनुसार सपा सरकार में पूर्व सीएम अखिलेश यादव के बेहद करीबी माने जाने वाले सत्येंद्र सिंह ने साल 2012 से 2014 में कौशांबी का जिलाधिकारी रहने के दौरान खनन के पट्टों के आवंटन में शासनादेश को दरकिनार किया। इस मामले में हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गयी थी, जिस पर कोर्ट ने मामले की सीबीआइ से जांच कराए जाने के आदेश दिए थे। सीबीआइ ने हाई कोर्ट का आदेशों के अनुपालन में सत्येंद्र सिंह का अलावा नौ अन्य लोगों को भी नामजद किया है।
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सीबीआइ के प्रवक्ता आरसी जोशी के मुताबिक छापेमारी में पूर्व आइएएस अधिकारी के गोमतीनगर स्थित आवास व अन्य ठिकानों से दो करोड़ 11 लाख रुपए के सोने-चांदी व हीरे के गहने, दस लाख नकद, 44 अचल संपत्ति के दस्तावेज, छह बैंक लाकर और 51 लाख की एफडी के अलावा एक लाख रुपए के पुराने नोट भी बरामद किए गए हैं।
वहीं सत्येंद्र सिंह यादव के यहां से 36 बैंक खातों की जानकारी सामने आई। यह खाते लखनऊ के अलावा कानपुर, गाजियाबाद और नई दिल्ली के बैंकों में सत्येंद्र सिंह के अलावा उनके परिजनों व करीबियों के नाम है।
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सीबीआई के अफसरों का कहना है कि जिस दौरान सत्येंद्र सिंह कौशांबी के जिलाधिकारी रहे, उन्होंने शासनादेश को नजरअंदाज करते हुए खनन के दो नए पट्टे आवंटित किए और नौ पुराने पट्टों का नवीनीकरण कर दिया। माइनर मिनिरल जैसे ग्रेनाइट, संगमरमर आदि के चूरे, बजरी, कंकड़, गिट्टी के अवैध खनन की लीज जारी कराई गई थी। पट्टों का आवंटन करने में ई टेंडरिंग प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। सीबीआइ इस मामले में तथ्य जुटा रही थी और आरोपों की पुष्टि होने के बाद छापामारी की कार्रवाई की गई।
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उल्लेखनीय है कि सीबीआइ ने जनवरी 2019 में साल 2012 से 2016 के दौरान हमीरपुर जिले में खनन के पट्टों के आवंटन में अनियमितता के आरोप में वहां जिलाधिकारी के पद पर तैनात रही आइएएस अधिकारी चंद्रकला के आवास व अन्य ठिकानों पर भी छापेमारी की थी।