आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। 100 बच्चों की बाध्यता हटाने, केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित मानदेय 17000 का शासनादेश राज्य सरकार के जारी कर भुगतान करने समेत चार सूत्रीय मांगों को लेकर लक्ष्मण मेला मैदान पर आमरण अनशन कर रहे सात में से महिला समेत तीन अनुदेशकों की आज पांचवे दिन हालत बिगड़ गई। अनुदेशकों की तबियत खराब होने पर उन्हें एम्बुलेंस की सहायता से अस्पताल पहुंचा गया है। जहां उनका इलाज चल रहा है।
यह भी पढ़ें- अब नियुक्ति के लिए B.ED TET अभ्यार्थियों ने छेड़ा अनवरत आंदोलन
वहीं दूसरी ओर आज सुबह अनुदेशकों ने अपनी चार सूत्रीय मांगों के लिए भाजपा कार्यालय पहुंचकर भी प्रदर्शन करने के साथ ही बीजेपी के जनसुनवाई कार्यक्रम में बेसिक शिक्षा मंत्री के सामने भी अपनी बात रखी, हालांकि उन्हें वहां से भी कोई खास फायदा नहीं मिला।
समिति के प्रदेश अध्यक्ष राकेश पटेल ने कहा कि हमारी अन्य मांगों में नियम विरुद्ध जिन अनुदेशकों की नियुक्ति उनके ग्रह ब्लॉक से दूर कर दी गई है या जहां छात्र संख्या 100 से कम हो गई उनको रिक्त स्थानों पर स्थानांतरित किया जाए। इसके साथ ही महिला अनुदेशकों को सवैतनिक प्रसूति अवकाश प्रदान किया जाए। इन मांगों को लेकर हम लोगों की लगातार छह महीनों से अधिकारियों व नेताओं से वार्ता चल रही है, लेकिन हर बार जल्द समस्या हल करने का सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है। जबकि हम लोग अपना आंदोलन बिना शासनादेश जारी हुए नहीं खत्म करेंगे।
उल्लेखनीय है कि पूर्व माध्यमिक अनुदेशक कल्याण समिति के बैनर तले प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए हजारों अनुदेशक बीते 11 सितंबर से लक्ष्मण मेला मैदान में प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती देख राकेश पटेल सहित अनुदेशक विनोद कुमार, अरुण मिश्रा, शिखा सिंह, आदित्य तिवारी, अनुपमा रावत व पूजा तिवारी 20 सितंबर से आमरण अनशन कर रही है। आज दोपहर में अनुपमा रावत, अरुण मिश्रा और आदित्य तिवारी की हालत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
समिति के मीडिया प्रभारी पुनीत श्रीवास्तव ने बताया कि आरटीई एक्ट 2009 के अनुसार बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु शारीरिक शिक्षा, कला शिक्षा एवं कार्यानुभव शिक्षा (कंप्यूटर, गृह शिल्प, फल संरक्षण एवं कृषि) विषयों को परिषदीय जूनियर स्कूल में पढ़ाने के लिए अनुदेशकों को रखा गया था, लेकिन अब छात्रों की संख्या सौ से कम होने पर अधिकारी अनुदेशकों का नवीनीकरण रोककर उन्हें बेरोजगार कर देते है, जबकि एक्ट ऐसा कही नहीं लिखा है कि संख्या कम हो जाने पर अनुदेशकों को हटा दिया जाए।
यह भी पढ़ें- मोदी के कार्यक्रम में हंगामा करने पर महिलाओं समेत 37 शिक्षामित्रों को भेजा गया जेल