खुद को एलडीए का इंजीनियर बता फ्लैट-दुकान दिलाने के नाम पर महिला से ठगे 30 लाख

एलडीए

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। भ्रष्‍टाचार के लिए बदनाम लखनऊ विकास प्राधिकरण के इंजीनियर के नाम पर 30 लाख रुपए की ठगी का मामला सोमवार को सामने आया है। खुद को एलडीए का जूनियर इंजीनियर बताने वाले ने फ्लैट व दुकान दिलाने के नाम पर महिला से 30 लाख रुपए की ठगी की है। यहियागंज निवासी ठगी की शिकार महिला नीलम शुक्‍ला ने सोमवार को एलडीए वीसी इंद्रमणि त्रिपाठी से मुलाकात कर ठगी करने वाले कथित अवर अभियंता पर कार्रवाई की मांग की है। वीसी ने अपने स्‍तर से मामले की जांच कराने का महिला को आश्‍वासन देने के साथ ही उसे ठग पर मुकदमा भी दर्ज कराने की सलाह दी है, हालांकि रात तक इस मामले में गोमतीनगर कोतवाली में तहरीर नहीं दी गयी थी।

नीलम शुक्‍ला ने बताया कि खुद को एलडीए का जेई बताने वाले प्रदीप मिश्रा से उसकी मुलाकात हुई थी। प्रदीप ने साल 2017 से 2020 के बीच उससे व उसके रिश्‍तेदारों को बसंत कुंज में प्रधानमंत्री आवास योजना के पांच फ्लैट व आइआइएम रोड स्थित बसंत विहार योजना में तीन दुकाने दिलाने के नाम पर बारी-बारी से 30 लाख रुपए लिए थे। प्रदीप का इस बीच एलडीए भी आना-जाना लगा रहता था। उसने फ्लैट के लिए तीन-तीन लाख रुपए, जबकि दुकानों के नाम पर पांच-पांच लाख रुपए लेने के साथ ही उसे व उसके रिश्‍तेदारों को नोटरी समेत विक्रय अनुबंध पत्र भी दिए थे।

कब्‍जा दिलाने की बात पर बहाने बना रहा था ठग

नीलम के अनुसार 30 लाख रुपए लेने के बाद प्रदीप दो साल से फ्लैट व दुकानों पर कब्‍जा दिलाने की जगह तरह-तरह के बहाने बना रहा था।

वीसी से मिलने पर खुला राज

करीब दो साल तक प्रदीप की बहानेबाजी के बाद सोमवार को नीलम शुक्‍ला एलडीए वीसी से उसकी शिकायत करने पहुंची। उपाध्‍यक्ष ने अपने स्‍तर से पड़ताल की तो पता चला कि एलडीए में प्रदीप मिश्रा नाम का कोई जेई तैनात ही नहीं है। इतना ही नहीं जिस बसंत विहार योजना में दुकान दिलाने के नाम पर 15 लाख की ठगी हुई है वह भी एलडीए की नहीं है। सच्‍चाई पूरी तरह सामने आने पर महिला ने अपना माथा पीट लिया।

एलडीए में फैला है दलाल व ठगों का जाल, यारी देख आवंटी खाते है धोखा!

बताते चलें कि यह कोई पहला मामला नहीं है, जब‍ एलडीए में किसी इंजीनियर के नाम पर ठगी हुई है। इससे पहले भी अधिकारी, इंजीनियर व बाबूओं के नाम व हस्‍ताक्षर के जरिए ठगी व एलडीए के प्‍लॉटों की फर्जी रजिस्‍ट्री के दर्जनों मामले विभाग में सामने आ चुके हैं। जानकारों की मानें तो एलडीए में दलाल व ठगों का जाल फैला है। ये ठग व दलाल कई बाबू, इंजीनियरों के साथ ही कुछ अधिकारियों के भी सीधे संपर्क में हैं और एलडीए के कमरों से लेकर घर तक इनकी बराबर पहुंच रहती है। इनके सिंडीकेट की मजबूती का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि एलडीए पहुंचे परेशानहाल आवंटी अधिकारी व कर्मचारियों के कमरे व केबिन में अकसर बैठे इन ठग व दलालों को ही कर्मी व अफसर तक समझने की भूलकर ठगी का शिकार हो जाते हैं।

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पास व आइडी कार्ड की व्‍यवस्‍था ठप

लगातार ठगी के मामले सामने आने पर पूर्व में कई बार एलडीए के त्‍तकालीन उपाध्‍यक्षों ने एलडीए में इंट्री के लिए पास की व्‍यवस्‍था शुरू की थी। वहीं दलाल व ठगों से अपने कर्मी व इंजीनियरों को अलग दिखाने के लिए उनको गले में आइडी कॉर्ड लटकाना अनिवार्य कर दिया था, लेकिन वर्तमान अधिकारियों की लापरवाही के चलते यह व्‍यवस्‍थाएं बंद होने से दलाल व ठगों की पहचान मुश्किल और एलडीए के लगभग हर कमरे तक उनकी पहुंच बेहद आसान हो गयी है।

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चीफ इंजीनियर से जानकारी करने पर पता चला है कि प्रदीप मिश्रा नाम का एलडीए में कोई जेई तैनात नहीं है। एलडीए अपने स्‍तर से मामले की जांच करेगा, महिला को भी मुकदमा दर्ज कराना चाहिए। साथ ही बाहरी लोग एलडीए में आकर इस तरह की घटना को अंजाम दे रहें हैं तो जल्‍द ही उनको चिन्हित कर कार्रवाई की जाएगी। इस तरह के मामलों को बढ़ावा देने में अगर विभाग का कोई अधिकारी-कर्मी लिप्‍त मिलता है तो उसके खिलाफ भी कठोर कदम उठाया जाएगा।

पवन कुमार गंगवार, सचिव एलडीए

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