योगी सरकार की बड़ी कार्रवाई, सरकारी स्‍कूलों में घोटाले के मामले में DM उन्नाव निलंबित

कंपोजिट ग्रांट

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। भ्रष्‍टाचार के मामलों में सख्‍ती दिखाने वाली योगी सरकार ने एक बार फिर करप्‍शन पर अपना हंटर चलाया है। शनिवार को सरकार ने कड़ा कदम उठाते हुए डीएम उन्‍नाव देवेंद्र कुमार पांडेय को सरकारी स्‍कूलों के कंपोजिट ग्रांट में भ्रष्‍टाचार के आरोप में निलंबित कर दिया है। निलं‍बन से पहले मामले की जांच कराई गयी जिसमें जिलाधिकारी दोषी पाए गए हैं।

उल्‍लेखनीय है कि परिषदीय स्कूलों में समग्र अनुदान के घोटाला मामले में सपा एमएलसी की ओर से राज्यपाल से शिकायत किए जाने के बाद अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा को इस मामले में आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे।

जिले के परिषदीय स्कूलों में खेल किट, पुस्तकालय, टाटपट्टी, पेंटिंग, अनुरक्षण, स्टेशनरी, सांस्कृतिक कार्यक्रम सामग्री एवं स्कूलों के रखरखाव के लिए 9.43 करोड़ रुपये का समग्र अनुदान जारी हुआ था।

वहीं इन सामग्री खरीद में करोड़ों रुपये के घोटाले की बात सामने आने पर सपा एमएलसी सुनील सिंह साजन ने बेसिक शिक्षा के राज्य परियोजना निदेशक विजय किरन आनंद से शिकायत की। राज्य स्तरीय तीन सदस्यीय टीम ने घालमेल पकड़ा तो परियोजना निदेशक ने तत्कालीन बीएसए बीके शर्मा और सामग्री की आपूर्ति करने वाली जौनपुर फर्म मेसर्स मां वैष्णो एजेंसी एवं अन्य संलिप्त अधिकारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने के निर्देश प्रभारी बीएसए राकेश कुमार को दिए थे।

जिला प्रशासन ने हालांकि राज्य स्तरीय टीम की रिपोर्ट के बजाए एसडीएम से कराई गई जांच की रिपोर्ट को आधार बनाते हुए दोनों के खिलाफ सदर कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई।

एमएलसी ने करोड़ों रुपये के गबन का आरोप लगाते हुए राज्यपाल से शिकायत की थी। राज्यपाल के उपसचिव नवीन चंद्र ने बुधवार को बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को घोटाले की जांच करने के निर्देश दिए।

वहीं इस जांच में सामने आया कि जिला स्तरीय कमेटी (डीएम और बीएसए) द्वारा कंपोजित ग्रांट के तहत राज्य परियोजना कार्यालय से निर्गत कार्यों की सूची को अनाधिकृत रूप से बदलकर जिला स्तर पर नई सूची जारी की गई और अनुमोदित कार्यों से भी कम किया गया।

इसके अलावा जिला स्तर पर राज्य परियोजना कार्यालय द्वारा निर्धारित अनिवार्य कार्यों की सूची में बदलाव करते हुए अन्य सामान्य कार्यों/वस्तुओं को जोड़ दिया गया। साथ ही राज्य परियोजना कार्यालय द्वारा निर्धारित अनिवार्य कार्यों को सूची से ही हटा दिया गया।

वहीं विभिन्न विद्यालयों में कंपोजिट ग्रांट से एक ही विशेष फर्म, जो जौनपुर की फर्म है, से ही अधिकांश सामग्री की खरीद की गई। यही नहीं सामग्री की खरीद बाजार की कीमत से भी ज्यादा रही। और गुणवत्ता अधोमानक पाई है। पता चला कि ये फर्म जीएसटी के लिए भी रजिस्टर्ड नहीं है।

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इसके अलावा 20 सितंबर 2018 को धनराशि सर्व शिक्षा अभियान कार्यालय से जिला परियोजना कार्यालय, उन्नाव के लिए आवंटित की गई। ये जिला स्तर से विभिन्न विद्यालयों के खातों में 15 अक्टूबर 2018 को ही आरटीजीएस के माध्यम से स्थानांतरित कर दी गई, लेकिन सामग्री की खरीद के लिए 23 फरवरी 2019 को जिला स्तर से सूची जारी की गई। जिससे स्पष्ट है कि धनराशि आवंटित होने के बावजूद समय से सामग्री की खरीद नहीं की गई और विकेंद्रीकृत व्यवस्था का केंद्रीकृत कर दिया गया।

वहीं आज देवेंद्र कुमार पांडेय के निलंबन के साथ ही योगी सरकार ने डीएम कन्‍नौज रविंद्र कुमार को जिलाधिकारी उन्‍नाव के पद पर तैनाती भी दे दी है।

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