मणिपुर हिंसा पर अमित शाह ने कहा, ‘सब कंट्रोल में, किसी को नहीं छोड़ेंगे’

मणिपुर हिंसा
मीडिया को जानकारी अमित शाह।

आरयू वेब टीम। काफी समय से मणिपुर हिंसा की आग में जल रहा। इस हिंसा को लेकर मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर है। इन सब के बीच केंद्रीय ग्रह गृहमंत्री अमित शाह मणिपुर दौरे पर है। जहां गृह मंत्री ने कहा, मैंने तीन दिनों तक हिंसाग्रस्त क्षेत्रों का दौरा किया है। राज्य के कैबिनेट मंत्रियों समेत हर समुदाय के साथ मेरी बैठक हो चुकी है। सब कंट्रोल में हैं। हिंसा में जो भी दोषी है किसी को छोड़ा नहीं जाएगा।

अमित शाह ने गुरुवार को प्रेसवार्ता कर कहा कि भारत सरकार हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के लेवल के रिटायर्ड जज से हिंसा की जांच पूरी करवाएगा। इसके लिए एक आयोग का गठन होगा। साथ ही भारत सरकार एक शांति समिति का भी गठन करेगी। मणिपुर में ढेर सारी एजेंसियां काम कर रही है।

शाह ने कहा, पीड़ित परिवारों को मुआवजा मिलेगा। जिन लोगों की मौत हुई है उनके परिवार वालों को केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से पांच-पांच लाख का मुआवजा दिया जाएगा। वहीं छह मामलों की जांच सीबीआई का विशेष दल करेगा। इस दौरान गृहमंत्री ने सभी लोगों से शांति बनाए रखने की अपील कर कहा अफवाहों पर कतई ध्यान न दें। अब राज्य में स्थिति ठीक है।

साथ ही अमित शाह ने राज्य में स्थिति बेहतर होने की जानकारी देते हुए कहा, 15 पेट्रोल पंप चयनित किए गए हैं, जो दिन-रात खुले रहेंगे। रेल से भी मणिपुर में सप्लाई शुरू कर दी जाएगी। इन सब तरीकों से राज्य में जिन चीजों की कमी हो रही है। उन्हें पूरा किया जाएगा। दो-तीन दिन के भीतर रेलवे सेवा बहाल कर दी जाएगी।

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गृहमंत्री ने बताया, भारत सरकार के कुछ शिक्षा अधिकारी मणिपुर पहुंच गए है, जिससे बच्चों के लिए आसानी से शिक्षा व्यवस्था हो। अमित शाह ने दावा किया कि बच्चों की पढ़ाई में कोई व्यवधान नहीं आएगा। समझौतों की शर्तों का कठोरता से पालन किया जाए, जिन लोगों के पास हथियार हैं वो पुलिस को सौंपकर सरेंडर कर दें।

क्या है मामला-

गौरतलब है कि मणिपुर में मेइती समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में तीन मई को पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद जातीय हिंसा भड़क गई थी। सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों के अनुसार तीन मई को हिंसा शुरू होने के बाद से अब तक संघर्ष में 80 लोगों की जान चली गई है। वहीं अमित शाह ने जानकारी देते हुए कहा, 29 अप्रैल को मणिपुर हाई कोर्ट के एक फैसले के कारण राज्य में दो ग्रुप के बीच में हिंसा की शुरुआत हुई थी, हालांकि अब सब कंट्रोल में है।

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