मणिपुर पहुंचे राहुल ने जाना हिंसा प्रभावितों का दर्द, कहा हम संसद में इनके सिपाही

मणिपुर में हिंसा
मणिपुर में पीडि़तों से हाल जानते राहुल गांधी।

आरयू वेब टीम। लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी हिंसाग्रस्त राज्य मणिपुर के दौरे पर हैं। मणिपुर पहुंचकर उन्होंने सबसे पहले राहत शिविरों में रह रहे लोगों से मुलाकात की। राहत शिविर में वह जमीन पर ही लोगों के साथ बैठे और उनकी परेशानियों को जाना और संत्‍वाना दी। मणिपुर में लंबे समय से मैतेयी और कुकी समुदाय के बीच हिंसक संघर्ष जारी है। इन दंगों के कारण बड़ी संख्या में लोग बेघर हो चुके हैं और कई लोगों की मौत भी हो चुकी है।

राहुल गांधी मणिपुर के दौरे पर हैं और वह अलग-अलग जगहों पर जाकर लोगों से मिल रहे हैं और उनकी समस्याएं जान रहे हैं। लोगों से मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने सोमवार को कहा कि वह असम के लोगों के साथ हैं और ‘संसद में उनके सिपाही’ हैं। उन्होंने केंद्र से राज्य को तुरंत हरसंभव सहायता मुहैया कराने का अनुरोध किया।

राहुल ने असम में कछार जिले के फुलेर्तल में एक बाढ़ राहत शिविर का दौरा करने के बाद ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मैं असम के लोगों के साथ हूं, मैं संसद में उनका सिपाही हूं और मैं केंद्र सरकार से राज्य को तुरंत हरसंभव मदद मुहैया कराने का अनुरोध करता हूं।’’ उन्होंने कहा कि असम को ‘‘अल्पावधि में व्यापक और दयालु दृष्टि वाली राहत, पुनर्वास और मुआवजे की आवश्यकता है तथा दीर्घावधि में बाढ़ पर नियंत्रण पाने के लिए पूरे पूर्वोत्तर का एक जल प्रबंधन प्राधिकरण चाहिए।’’

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राहुल ने आज यह भी कहा कि असम में बाढ़ से मची अत्यधिक तबाही हृदयविदारक है जिसने आठ वर्षीय अविनाश जैसे मासूम बच्चे को हमसे छीन लिया है। पूरे राज्य में सभी शोक संतप्त परिवारों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं हैं।’’ राहुल गांधी तीसरी बार मणिपुर का दौरा कर रहे हैं। राज्य में पिछले साल जातीय हिंसा शुरू होने के बाद जून 2023 में वह मणिपुर आए थे और इस साल की शुरुआत में उन्होंने भारत जोड़ो न्याय यात्रा की शुरुआत भी इसी राज्य से की थी।

बता दें कि मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में पिछले साल तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं। राज्य में तब से अब तक कम से कम 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। हिंसा में सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।

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