‘मन की बात’ में बोले प्रधानमंत्री, पुलवामा हमले के बाद भारत को कूटनीतिक स्तर पर मिली बड़ी सफलता

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(फाइल फोटो)

आरयू वेब टीम।  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 53वें एपिसोड में देशवासियों को संबोधित किया। इस दौरान मोदी ने पुलवामा हमले से लेकर कई मुद्दों पर अपनी बात रखी। वहीं चुनाव बाद फिर से ‘मन की बात’ करने का वादा किया। मोदी ने कहा कि पुलवामा हमले के बाद भारत को कूटनीतिक स्तर पर बड़ी सफलता मिली है। मुस्लिम देशों के शक्तिशाली संगठन (ओआइसी) ने अपने 46वां सत्र में शामिल होने के लिए भारत को न्योता भेजा है।

प्रधानमंत्री बोले कि ‘भारत-माता की रक्षा में, अपने प्राण न्योछावर करने वाले, देश के सभी वीर सपूतों को, मैं नमन करता हूं। यह शहादत, आतंक को समूल नष्ट करने के लिए हमें निरन्तर प्रेरित करेगी, हमारे संकल्प को और मजबूत करेगी’ पीएम मोदी ने कहा, ‘पुलवामा के आतंकी हमले में वीर जवानों की शहादत के बाद देश-भर में लोगों के मन में आघात और आक्रोश है। शांति की स्थापना के लिए जहां उन्होंने अद्भुत क्षमता दिखायी है, वहीं हमलावरों को भी उन्हीं की भाषा में जवाब देने का काम किया है।’

प्रेरणा से भरी है शहीदों के परिवार की कहानी

इस दौरान बिहार के भागलपुर के शहीद रतन ठाकुर के पिता का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि शहीद रतन के पिता रामनिरंजन जी ने,दुःख की इस घड़ी में भी जिस जज्बे का परिचय दिया है, वह हम सबको प्रेरित करता है। उन्होंने कहा कि वे अपने दूसरे बेटे को भी दुश्मनों से लड़ने के लिए भेजेंगे और जरुरत पड़ी तो खुद भी लड़ने जाएंगे।

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वहीं ओड़िशा के जगतसिंह पुर के शहीद प्रसन्ना साहू की पत्‍नी मीना जी के अदम्य साहस को पूरा देश सलाम कर रहा है। उन्होंने अपने इकलौते बेटे को भी सीआरपीएफ ज्वाइन कराने का प्रण लिया है। जब तिरंगे में लिपटे शहीद विजय शोरेन का शव झारखण्ड के गुमला पहुंचा तो मासूम बेटे ने यही कहा कि मैं भी फौज में जाऊंगा। ऐसी ही भावनाएं, हमारे वीर, पराक्रमी शहीदों के घर-घर में देखने को मिल रही हैं। चाहे वो देवरिया के शहीद विजय मौर्य का परिवार हो, कांगड़ा के शहीद तिलकराज के माता-पिता हों या फिर कोटा के शहीद हेमराज का छः साल का बेटा हो, शहीदों के हर परिवार की कहानी,प्रेरणा से भरी हुई हैं।

चुनाव बाद फिर होगी मन की बात

मोदी ने कहा, “चुनाव लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव होता है। अगले दो महीने, हम सभी चुनाव की गहमा-गहमी में व्यस्त होगें। मैं स्वयं भी इस चुनाव में एक प्रत्याशी रहूंगा। स्वस्थ लोकतांत्रिक परंपरा का सम्मान करते हुए अगली ‘मन की बात’ मई महीने के आखरी रविवार को होगी।

यानि कि मार्च महीना, अप्रैल महीना और पूरा मई महीना ये तीन महीने की सारी हमारी जो भावनाएं हैं, उन सबको मैं चुनाव के बाद एक नए विश्‍वास के साथ आपके आशीर्वाद की ताकत के साथ फिर एक बार ‘मन की बात’ के माध्यम से हमारी बातचीत के सिलसिले का आरम्भ करूंगा और सालों तक आपसे ‘मन की बात’ करता रहूंगा।”

मोरार जी देसाई को किया याद

मोदी ने कहा मेरे प्यारे देशवासियो हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी भाई देसाई का जन्म 29 फरवरी को हुआ था। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि यह दिन चार वर्ष में एक बार ही आता है। सहज, शांतिपूर्ण व्यक्तित्व के धनी, मोरारजी भाई देश के सबसे अनुशासित नेताओं में से थे। स्वतंत्र भारत में संसद में सबसे अधिक बजट पेश करने का रिकॉर्ड मोरारजी भाई देसाई के ही नाम है। मोरारजी देसाई ने उस कठिन समय में भारत का कुशल नेतृत्व किया, जब देश के लोकतान्त्रिक ताने-बाने को खतरा था। इसके लिए हमारी आने वाली पीढ़ियाँ भी उनकी आभारी रहेंगी। मोरारजी भाई देसाई ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए आपातकाल के खिलाफ आन्दोलन में खुद को झोंक दिया। इसके लिए उन्हें वृद्धावस्था में भी भारी कीमत चुकानी पड़ी। उस समय की सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया।

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