आरयू वेब टीम। सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा सांसद मनोज तिवारी की पटाखा बैन के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। बुधवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली सरकार के पटाखों पर पाबंदी को लेकर दखल देने से इंकार कर दिया। दिल्ली सरकार ने इसी सप्ताह पटाखों पर बैन लगाया था। जस्टिस ए एस बोपन्ना और एमएम सुंदरेश की डबल बैंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि दीवाली पर जश्न मनाने के और भी तरीके हो सकते हैं।
साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि सांसद को अपने समर्थकों को समझाना चाहिए कि रोशनी और आनंद के पर्व पर पटाखें नहीं जलाना चाहिए। याचिकाकर्ता सांसद मनोज तिवारी की वकील ने बताया कि ग्रीन पटाखों के आदेश के बावजूद कई राज्य पटाखें चलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा रहे हैं। इसके साथ ही चुनाव परिणाम आदि के दौरान भी पटाखे चलाए जाते है और आतिशबाजी की अनुमति दी जा रही है।
वहीं कुछ राज्यों ने धारा 144 लगाई है। इसपर जस्टिस बोपन्ना ने कहा कि अगर इसमें स्थानीय स्तर पर कोई प्रतिबंध है तो उसे रहने दीजिए। हम इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं करना चाहते हैं। अदालत ने कहा कि आप अपनी जीत का जश्न अन्य कई तरीकों से मना सकते हैं। अच्छा होगा अगर आप लोगों की मदद के लिए कुछ करें। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर आपको पटाखे चलाने का मन है तो उन राज्यों में जाएं जहां पाबंदी नहीं हो।
वहीं सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुई एडिशनल साॅलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि सरकार ने जो प्रोटोकाॅल बनाया है वो सभी पक्षों को दिया जा चुका है। सिर्फ ग्रीन पटाखों की बिक्री की इजाजत दी गई है। कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि त्यौहारों के दौरान पटाखों का बड़े स्तर पर उत्पादन होता है क्या इसको लेकर सरकार के पास कोई मैकेनिज्म मौजूद है? इस पर भाटी ने कोर्ट को जवाब देते हुए कहा कि हमने प्रोटोकाॅल की लिस्ट बनाई है इसमें सीएसआइआर नीरी के साथ पटाखा निर्माताओं का ऑनलाइन पंजीकरण, अधिकृत एजेंसियों द्वारा क्यूआर कोडिंग की व्यवस्था भी शामिल है।
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मालूम हो कि दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय ने 11 सितंबर को पटाखों पर पूर्ण पाबंदी लगाई थी। इसमें पटाखे बेचने, फोड़ने, जमा करने पर पूर्णतया पाबंदी है। सरकार ने यह पाबंदी इसलिए लगाई है क्योंकि हर साल सर्दियों में दिल्ली का प्रदूषण स्तर बढ़ जाता है। जिसमें पटाखों से होने वाले धुंए का भी योगदान होता है। राजधानी में पिछले तीन साल से पटाखों पर पूर्णतया पाबंदी लगाई जा रही है।