आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए जहां लगभग हर पार्टी में मारा-मारी और दल बदलने का माहौल चल रहा है, वहीं ऐसे में बसपा सुप्रीमो मायावती ने बुधवार को एक बड़ा ऐलान कर दिया है। सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री ने आज अपने एक बयान में 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर दी है। साथ ही मायावती ने इस चौंकाने वाले फैसले को लेने की वजह बीएसपी के मूवमेंट हित को बताया है।
बसपा अध्यक्ष ने चुनाव नहीं लड़ने का अपना फैसला सुनाते हुए मीडिया से कहा कि बसपा एक राजनीतिक पार्टी के साथ-साथ बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर और बीएसपी मूवमेंट के जन्मदाता कांशीराम द्वारा चलाया गया ये करोड़ों शोषित, पीडि़त व उपेक्षितों के आत्म सम्मान की मूवमेंट भी है, जिसका हित मेरे लिए सर्वोपरि है और इसको बचाने के लिए मुझे कड़े फैसले लेने पड़ते हैं। ऐसा नहीं करने पर विरोधी लोग इसे फेल करने में लग जाते है।
…फिर से दासता और गुलामी की जंजीर में जकड़ लिए जाएंगे
मायावती ने आगे कहा कि खासकर चुनाव के समय ये लोग अनेक प्रकार के साम, दाम दंड व भेद के हथकंडे अपनाकर इस मूवमेंट को नुकसान पहुंचाने में लग जाते है, जिससे निपटना भी हमारे लिए बहुत जरूरी होता है। अगर इनसे मजबूती से नहीं लड़ा गया तो भारत में फिर से विशेषकर हमारे करोड़ों दलितों, आदिवासियों व अन्य पिछड़े वर्गों के लोगों और इन कनवर्टेड खासकर मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों को फिर से दासता और गुलामी की जंजीर में जकड़ लिए जाएंगे, इसे हर हाल में रोकना है।
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लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने के अपने फैसले के पक्ष में तर्क देते हुए मायावती ने आज ये भी कहा कि गरीब, मजदूर, किसान, बेरोजगार व अन्य मेहनतकश विरोधी बीजेपी की वर्तमान अहंकारी, निरंकुश, जातिवादी व सांप्रदायिक सरकार को उखाड़ फेंकने को यूपी में बसपा, सपा व आरएलडी के गठबंधन को हर एक सीट जीतना होगा, लेकिन मैं अगर चुनाव लड़ने लगी तो मुझे सिर्फ नामांकन भरने के लिए जाना होगा और बाकी जीत की जिम्मेदारी हमारे लोग खुद निभा लेंगे, यह निश्चित है, लेकिन अपनी बहनजी को भारी से भारी मतों से जिताने के लिए मेरे लाख मना करने के बावजूद भी मेरे लोकसभा क्षेत्र में काम करने चले जायेंगे, तो मुझे ये आशंका है कि इससे हमारे दूसरे क्षेत्र का चुनाव कुछ न कुछ जरुर प्रभावित होगा, जो मैं कतई नहीं चाहती हूं।