आरयू वेब टीम।
मोदी सरकार के खिलाफ आज संसद में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को लेकर राजनीति तेज हो गई है। प्रस्ताव के लिए विपक्ष और सरकार अधिक से अधिक समर्थन जुटाने में लगे हुए हैं। वहीं खासकर लोगों की निगाह अब तक भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना के रूख पर टिकी हुई थी। जिसे साधने की भाजपा भरपूर कोशिश में लगी हुई है।
हालांकि शिवसेना ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन अविश्वास प्रस्ताव के कुछ घंटे पहले शिवसेना के मोदी सरकार पर हमला बोलने को लेकर यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि, शिवसेना ने भाजपा को झटका देने का मन बना लिया है।
एनडीए की सहयोगी रही शिवसेना गठबंधन का साथ देगी, लेकिन मोदी सरकार को बड़ा झटका देते हुए शिवसेना ने अपने सांसदों के साथ चर्चा करने के बाद कहा है कि वह सरकार में तो रहेगी, लेकिन वोटिंग नहीं करेगी। साथ ही पार्टी के सांसद भी लोकसभा में नहीं आएंगे।
देशद्रोह हो जाता है सच बोलना
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा कि प्रश्न कश्मीर का हो या जनता को अच्छे दिन दिखाने का, महंगाई का होगा या हमारे नाणार परियोजना ग्रस्तों का, सभी स्तर पर जनता की पीठ में सिर्फ खंजर घोंपा गया। सच बोलना देशद्रोह हो जाता है, लेकिन विश्वासघात करना, जनता को छलना शिष्टाचार बन जाता है।
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वहीं मीडिया में आयी रिपोर्ट के अनुसार शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने शुक्रवार को कहा कि देश शिवसेना के रुख के बारे में चिंतित है। हमारी पार्टी सही फैसला करेगी। पार्टी प्रमुख स्वयं पार्टी को अपने फैसले के बारे में बताएंगे।
बता दें कि इससे पहले गुरूवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से भाजपा प्रमुख अमित शाह के बातचीत कर उन्हें अविश्वास प्रस्ताव में बीजेपी के समर्थन की बात सामने आ रही थी।। बातचीत के बाद ठाकरे ने सरकार का साथ देने का फैसला किया है, लेकिन आधिकारिक तौर पर पार्टी की ओर से अब तक रूख साफ नहीं किया गया है ऐसे में भले ही 18 सांसदों वाली शिवसेना के समर्थन देने या ना देने से सरकार को अविश्वास प्रस्ताव पर कोई फर्क ना पड़े, लेकिन सियासी संकेत ज्यादा गहरे होंगे।
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