CM ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखा लेटर, की NEET खत्म कर पुरानी व्यवस्था बहाल करने की मांग

मोदी को लिखा लेटर
फाइल फोटो।

आरयू वेब टीम। नीट यूजी पेपर लीक मामले पर विपक्ष ने मोदी सरकार को निशाने पर ले रखा है। विपक्ष सोशल मीडिया से लेकर संसद तक इस मुद्दे पर सरकार को घेरे हुए है। इस बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने नीट को खत्म कर पुरानी व्यवस्था बहाल करने की मांग की है। सीमए ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को लिखे लेटर में राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (एनईईटी यानी नीट) को खत्म करने और राज्य सरकार द्वारा परीक्षा आयोजित करने की पिछली प्रणाली को बहाल करने का आग्रह किया है।

साथ ही ममता ने आरोप लगाया कि मौजूदा प्रणाली में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। पीएम को लिखे लेटर में उन्होंने कहा कि, “पेपर लीक, कुछ लोगों और परीक्षाओं के संचालन में शामिल अधिकारियों द्वारा रिश्वत लेने, कुछ छात्रों को परीक्षा के लिए आवेदन करने के लिए खिड़की खोलने, ग्रेस मार्क्स आदि के आरोप, ये कुछ गंभीर मुद्दे हैं, जिन पर पूरा ध्यान देने की जरूरत है। इनकी गहन, स्वच्छ और निष्पक्ष जांच की जरूरत है। ऐसी घटनाएं लाखों छात्रों के करियर और आकांक्षाओं को खतरे में डालती हैं जो इन मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश पाने की उम्मीद करते हैं।”

मुख्यमंत्री ने पीएम मोदी से पिछली प्रणाली को बहाल करने का भी आग्रह किया, जिसके तहत राज्यों को अपनी प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करने की अनुमति थी। साथ ही कहा, “इस संबंध में ये भी ध्यान देने योग्य है कि 2017 से पहले, राज्यों को अपनी प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करने की अनुमति थी और केंद्र सरकार भी मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए अपनी परीक्षाएं आयोजित करती थी। यह प्रणाली सुचारू रूप से और बिना किसी समस्या के काम कर रही थी। यह क्षेत्रीय पाठ्यक्रम और शैक्षिक मानकों के अनुकूल था। राज्य सरकार आमतौर पर शिक्षा और इंटर्नशिप पर प्रति डॉक्टर 50 लाख रुपये से अधिक खर्च करती है। इसलिए, राज्य को संयुक्त प्रवेश परीक्षा के माध्यम से मेडिकल छात्रों का चयन करने की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए।

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उन्‍होंने आगे आरोप लगाते हुए कहा कि वर्तमान प्रणाली ने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को जन्म दिया है, जिसका लाभ केवल उन अमीरों को मिलता है जो भुगतान करने में सक्षम हैं, जबकि गरीब और मध्यम वर्ग के मेधावी छात्र इससे पीड़ित हैं।” साथ ही ये भी आरोप लगाते हुए कहा कि राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) को बदल दिया गया ताकि राज्य सरकारों की किसी भी तरह की भागीदारी के बिना देश में चिकित्सा पाठ्यक्रमों में सभी प्रवेशों पर पूर्ण नियंत्रण किया जा सके। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है और देश के संघीय ढांचे की सच्ची भावना का उल्लंघन करता है।

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