पदभार ग्रहण कर बोले नवागत DGP, प्रदेश के हर नागरिक को सुरक्षा की भावना देना है प्राथमिकता

नवागत डीजीपी
एडीजी कानून-व्यवस्था से पदभार ग्रहण करते नवागत डीजीपी।

आरयू ब्‍यूरो, 

लखनऊ। 22 दिनों के इंतजार के बाद आखिरकार आज सूबे के डीजीपी की कुर्सी को उसका वारिस मिल ही गया। उत्‍तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक के रूप में आज ओम प्रकाश सिंह ने डालीबाग पहुंचकर अपना कार्यभार ग्रहण किया।

सूबे के पुलिस मुखिया की कमान संभालने के बाद डीजीपी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उनके सामने ढेर सारी चुनौतियां हैं, लेकिन सबसे पहले उनकी प्राथमिकता होगी कि महिलाओं, कमजोर वर्ग के लोग, बूढ़ें व बच्‍चों समेत उत्‍तर प्रदेश के प्रत्‍येक नागरिक को अपने पुलिस बल के माध्‍यम से सुरक्षा की भावना देने की।

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डीजीपी ने आगे कहा कि कानून-व्‍यवस्‍था के मामले में पिछले कुछ महीनों से उत्‍तर प्रदेश अच्‍छी स्थिति से गुजर रहा है, हमे इस स्थिति को और अच्‍छा बनाना है। जिससे कि जनता को और राहत मिल सकें।

 समाज में होते रहते हैं अपराध

वहीं लखनऊ में हो रही लगातार संगीन वारदातों पर ओपी सिंह ने कहा कि समाज में अपराध होते रहते हैं। हमारे सामने चुनौतियां बहुत हैं, लेकिन इनसे निपटने के लिए हमारे पास अच्‍छे अधिकारी भी मौजूद हैं।

बदमाशों को मिलेगा मुंहतोड़ जवाब

प्रदेश में हो रहें एनकाउंटर के बारे में डीजीपी बोले कि अपराधियों से सामना होने पर पुलिस की पहली कोशिश उन्‍हें गिरफ्तार करने की होती है, लेकिन अगर बदमाश गोली चलाएंगें तो उन्‍हें मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।

पुलिस कमिश्‍नर व्‍यस्‍था के पक्ष में दिखें डीजीपी

इसके अलावा डीजीपी ने पुलिस की सर्विस सुधारने के साथ ही पुलिस कमिश्‍नर व्‍यवस्‍था लागू कराने के पक्ष में भी बात कही। साथ ही पद्मावत को रिलीज को लेकर चल रहे बवाल पर उन्‍होंने कहा कि कानून को किसी को भी हाथ में नहीं लेने दिए जाएगा। वहीं डीजीपी ने यातायात व्‍यवस्‍था के सुधार के लिए प्रयास करने की बात भी मीडिया से कही है।

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उल्‍लेखनीय है कि मूल रूप से बिहार के निवासी ओम प्रकाश सिंह 1983 बैच के आईपीएस अफसर हैं। साथ-सुथरी छवि होने के साथ ही अभी लंबा कार्यकाल बचा होने के चलते योगी सरकार ने प्रदेश की कानून-व्‍यवस्‍था में सुधार के लिए ओपी सिंह को चुना है।

इतना ही नहीं ओपी सिंह की साफ छवि के साथ वर्किंग स्‍टॉइल से प्रभावित योगी सरकार ने ओपी सिंह के केंद्र से रिलीव होने में देर होने के और सुलखान सिंह के अवकाश प्राप्‍त होने के बाद भी 22 दिनों तक सूबे के सबसे बड़े पुलिस अधिकारी की कुर्सी के लिए किसी दूसरे डीजी का नाम फाइनल नहीं किया।

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