आरयू वेब टीम। चुनाव आयोग ने चुनाव संबंधी नियमों में कुछ बदलाव किए हैं। इसके तहत अब पोलिंग बूथों के सीसीटीवी फुटेज उम्मीदवारों और आम जनता को उपलब्ध नहीं कराए जा सकते। इस सुधार से पहले, कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स के सेक्शन 93(2) के तहत चुनाव से संबंधित सभी कागजात आम जनता के निरीक्षण के लिए उपलब्ध थे इसके लिए कोर्ट के परमिशन की जरूरत थी। चुनाव आयोग द्वारा इन नियमों में बदलाव के बाद कांग्रेस मोदी सरकार और चुनाव आयोग पर भड़की है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि केंद्र सरकार चुनाव आयोग की संस्थागत अखंडता को नष्ट करना चाहती है।
चुनाव नियम में बदलाव चुनाव आयोग की ईमानदारी को खत्म करने सोची समझी साजिश है। चुनाव आयोग को जानबूझकर खत्म करके मोदी सरकार लोकतंत्र और संविधान पर हमला कर रही है। एक्स पर पोस्ट कर कहा कि चुनाव नियमों में संशोधन भारत के चुनाव आयोग की संस्थागत अखंडता को नष्ट करने की मोदी सरकार की व्यवस्थित साजिश है। इससे पहले सरकार ने चुनाव आयुक्त की नियुक्ति करने वाले पैनल से भारत के मुख्य न्यायाधीश को चयन पैनल से हटा दिया था। अब सरकार उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी चुनावी जानकारी को छिपाने का सहारा ले रहे हैं।
खड़गे ने कहा कि जब-जब कांग्रेस ने चुनाव आयोग को मतदाताओं के नाम काटने और ईवीएम में पारदर्शिता की कमी जैसी अनियमितताओं के बारे में लिखा, तब-तब आयोग ने अपमानजनक लहजे में जवाब दिया। इसके अलावा कुछ गंभीर शिकायतों को भी स्वीकार नहीं किया। यह साबित करता है कि चुनाव आयोग भले ही एक अर्ध-न्यायिक निकाय है, लेकिन स्वतंत्र रूप से व्यवहार नहीं कर रहा है। मोदी सरकार का चुनाव आयोग की अखंडता को कम करने का नपा-तुला प्रयास संविधान और लोकतंत्र पर सीधा हमला है और हम उनकी रक्षा के लिए हर कदम उठाएंगे।
इससे पहले कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने चुनावी प्रक्रिया की शुचिता और पारदर्शिता को खत्म करने का आरोप लगाया है। हालांकि आयोग का कहना है कि वोटरों की निजता और उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाए गए हैं। उनकी पार्टी इन बदलावों को कोर्ट में चुनौती देगी। अगर हालिया समय में चुनाव की शुचिता को प्रभावित करने के लिए चुनाव आयोग ने कोई कदम उठाया है तो वह यही है।
चुनाव आयोग के सूत्रों ने हालांकि बदलावों को जस्टिफाई किया है। इसमें कहा गया है कि सीसीटीवी फुटेज किसी को भी उपलब्ध कराने से मामला गंभीर हो सकता था। खासतौर पर जम्मू- कश्मीर जैसे संवेदनशील जगहों और नक्सल इलाकों में यह सुरक्षा का मसला बन सकता था। जानकारी के मुताबिक चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इसके चलते वोटरों की जिंदगी पर भी संकट आ सकता था।
चुनाव आयोग के अधिकारियों के मुताबिक सभी इलेक्शन पेपर्स और डॉक्यूमेंट्स आम लोगों के निरीक्षण के लिए उपलब्ध हैं। किसी भी मामले में उम्मीदवार सभी तरह के रिकॉर्ड्स के बारे में जान सकते हैं। अधिकारी ने कहा कि प्राचा भी अपने विधानसभा क्षेत्र के सभी कागजात पाने के अधिकारी हैं। चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक नियमों में जिन डॉक्यूमेंट्स को पब्लिक के लिए उपलब्ध न कराने की बात कही गई है वह इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स हैं। चुनाव आयोग के अधिकारी ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज पाने के बाद कोई भी एआई के जरिए उसमें छेड़छाड़ कर सकता है। इसलिए इस नियम को बदल दिया गया है।
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यह बदलाव ऐसे वक्त में किए गए हैं जब पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिए थे कि वह हरियाणा विधानसभा चुनाव से संबंधित कागजात एडवोकेट महमूद प्राचा को उपलब्ध कराए। एडवोकेट ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उसने हरियाणा चुनाव के दौरान हुई वीडियोग्राफी, सीसीटीवी कैमरा फुटेज, फॉर्म 17-सी पार्ट 1 और पार्ट 2 की कॉपीज मांगी थीं।
अभी तक नियमों के नियमों में एक लिस्ट थी, जो सक्षम न्यायालय के निर्देश पर लोगों के लिए मुहैया करानी थी। नियमों में किए गए बदलाव ने इसमें एक लाइन जोड़ी है। इसमें चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि पेपर्स की लिस्ट में डॉक्यूमेंट्स या फिर इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स शामिल नहीं होंगे, जिनके बारे में नियमों में नहीं कहा गया है।