आरयू ब्यूरो, लखनऊ। सामूहिक दुष्कर्म के मामले में जेल में बंद पूर्व खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने शुक्रवार को जमानत दे दी है। लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज में भर्ती गायत्री प्रसाद प्रजापति ने कोरोना वायरस संक्रमण का हवाला देकर जमानत की याचिका दायर की थी।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने न्यायमूर्ति वेद प्रकाश वैश्य ने मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को मेडिकल ग्राउंड पर आज से दो महीने से लिए अंतरिम जमानत दे दी है। कोर्ट ने दो-दो लाख रुपये के दो जमानती और पांच लाख के निजी मुचलके पर गायत्री प्रजापति को जमानत दी है। इसके साथ ही लखनऊ पीठ ने उसे पीड़ित और उसके परिवार के सदस्यों पर दबाव बनाने या प्रभावित नहीं करने का निर्देश दिया। साथ ही कोर्ट की शर्त है कि वह अंतरिम जमानत के दौरान देश छोड़कर बाहर नहीं जाएंगे।
यह भी पढ़ें- सपा सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रजापति सहित अवैध खनन से जुड़े नेता-अफसरों के 22 ठिकानों पर CBI का छापा
गौरतलब है कि गायत्री प्रसाद प्रजापति ने देश में कोविड-19 का हवाला देकर जमानत मांगी थी। इनकी याचिका को दो बार स्वीकार नहीं किया गया था। गायत्री प्रसाद प्रजापति की पहली जमानत अर्जी खारिज हो चुकी है। इसके बाद भी उन्होंने अर्जी देकर कहा है कि वह गंभीर रोग से पीड़ित हैं। लिहाजा उसे इलाज कराने के लिए जमानत दी जाए। कोर्ट के ही आदेश पर गायत्री प्रजापति का कानपुर के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में इलाज चल रहा है। अब इस बार प्रजापति ने दलील दी है कि केजीएमयू के जिस विभाग में वह भर्ती है वहां उसे कोरोना वायरस से संक्रमण का खतरा है क्योंकि यह वार्ड कोरोना वार्ड के पास है।
इस पर कोर्ट से गायत्री के वकील एसके सिंह ने केजीएमयू की ही रिपेार्ट का हवाला देकर कहा कि इसमें तो साफ लिखा है कि केजीएमूय में मरीजों का कोरोना वायरस का खतरा अधिक है। इस पर कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सरकारी वकील को पूरी स्थिति साफ करने का आदेश दे दिया।
बता दें कि अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रजापति के खिलाफ 2017 में सामूहिक दुष्कर्म का केस दर्ज हुआ था। केस में तीन जून, 2017 को गायत्री के अलावा छह अन्य पर चार्जशीट दाखिल की गई थी, जिसके बाद 18 जुलाई, 2017 को लखनऊ की पॉक्सो स्पेशल कोर्ट ने सातों आरोपियों पर पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया था।