सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर खारिज की पूनर्विचार याचिका, तय समय पर ही पूरी होगी JEE-NEET परीक्षा

जेईई-नीट
फाइल फोटो।

आरयू वेब टीम। एक सितंबर से छह सितंबर तक होने वाली नीट और जेईई मेन्स की परीक्षाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। 17 अगस्त के फैसले पर छह गैर-भाजपा शासित राज्यों के मंत्रियों की पूनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दिया है। इससे साफ हो गया है कि अब देशभर में जेईई मेन और नीट परीक्षाएं अपने तय शेड्यूल पर ही पूरी की जाएंगी।

याचिका दायर करने वाले नेताओं का दावा था कि शीर्ष अदालत छात्रों के जीने के अधिकार को सुरक्षित करने में विफल रही है और उसने कोविड-19 महामारी के दौरान परीक्षाओं के आयोजन में आने वाली परेशानियों को नजरअंदाज किया है। राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए), जो दोनों परीक्षाओं का आयोजन करती है, जेईई मुख्य परीक्षा एक से छह सितंबर तक आयोजित कर रही है जबकि नीट की परीक्षाओं का आयोजन 13 सितंबर को होगा।

जेईई और नीट परीक्षाओं को लेकर चेंबर में तीन जजों की बेंच ने विचार किया। जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने विचार करने के बाद छह राज्यों के छह कैबिनेट मंत्रियों द्वारा जेईई मेन और नीट परीक्षाओं पर पुनर्विचार करने की याचिका को खारिज करने का फैसला सुनाया।

याचिकाकर्ताओं में ये लोग रहे शामिल

याचिकाकर्ताओं में मोलोय घटक (मंत्री-प्रभारी, श्रम और ईएसआई (एमबी) योजना और कानून और न्यायिक विभाग, पश्चिम बंगाल सरकार), डॉ. रामेश्वर उरांव (कैबिनेट मंत्री, झारखंड सरकार), डॉ. रघु शर्मा (कैबिनेट मंत्री स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, राजस्थान सरकार), अमरजीत भगत (खाद्य, नागरिक आपूर्ति, संस्कृति, योजना, अर्थशास्त्र और सांख्यिकी, छत्तीसगढ़ सरकार), बलबीर सिंह सिद्धू (कैबिनेट मंत्री स्वास्थ्य और परिवार कल्याण), और उदय रवींद्र सामंत (उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री, महाराष्ट्र सरकार) शामिल हैं।

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बता दें कि 17 अगस्त को फैसला देने वाली पीठ की अध्यक्षता जस्टिस अरुण मिश्रा कर रहे थे, जो रिटायर हो चुके हैं। उनकी जगह जस्टिस अशोक भूषण ने ली है।

गौरतलब है कि 17 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2020 में होने वाली राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा और संयुक्त प्रवेश परीक्षा स्थगित करने की याचिका खारिज कर दी थी। पीठ की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा था कि परीक्षा स्थगित करने से छात्रों का करियर संकट में आ जाएगा। जस्टिस अरुण मिश्रा ने याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा था कि जीवन को कोविड-19 में भी आगे बढ़ना चाहिए। क्या हम सिर्फ परीक्षा रोक सकते हैं? हमें आगे बढ़ना चाहिए। अगर परीक्षा नहीं हुई तो क्या यह देश के लिए नुकसान नहीं होगा? छात्र शैक्षणिक वर्ष खो देंगे।

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