आरयू ब्यूरो, लखनऊ। बढ़ती महंगाई और घटती आमदनी ने जनता का जीना मुहाल कर दिया है। इसी बीच यूपी की जनता को एक और बड़ा झटका लगने वाला है। यूपी में नए शैक्षिक सत्र में अभिवावकों का बोझ बढ़ने वाला है। राजधानी लखनऊ के तमाम निजी स्कूलों ने एलकेजी से लेकर 12वीं तक की फीस बढ़ाने का निर्णय लिया है। ये इजाफा करीब 12 प्रतिशत तक किया गया है। फीस में कितनी बढ़ोत्तरी की जाए, इसके लिए स्कूल प्रबंधन स्वतंत्र हैं।
लखनऊ के प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन के इस निर्णय ने अभिवावक खास कर मध्य और निम्म आर्य वर्ग के अभिवावकों की चिंता बढ़ा दी हैं। अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन ने बैठक कर शैक्षणिक सत्र 2023-24 के लिए 11.69 प्रतिशत शुल्क बढ़ाने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। एसोसिएशन के तरफ से जारी बयान में कहा कि उत्तर प्रदेश शुल्क विनियमन अधिनियम 2018 के तय फॉर्मूले के मुताबिक ही फीस बढ़ाई जा रही है।
कोरोना के बाद सभी वस्तुओं के दाम बढ़ हैं। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआइ) अधिक रहने के कारण निजी स्कूलों को तय मानक से अधिक फीस में बढ़ोतरी करनी पड़ रही है। वहीं अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने बताया कि यदि किसी स्कूल का प्रबंधन चाहता है की वह अपने यहां फीस में बढ़ोत्तरी न करे तो वे इसके लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन अगर वे फीस बढ़ोत्तरी करते हैं तो उन्हें निर्धारित 11.69 प्रतिशत सीमा का पालन करना होगा। इससे ज्यादा फीस बढ़ाने पर उन्हें अभिवावक कल्याण संघ को जानकारी देनी होगी। अग्रवाल ने बताया कि लखनऊ के बड़े स्कूल ने अपने यहां पांच से दस प्रतिशत फीस बढ़ा रहे हैं।
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वहीं प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन के फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है। अभिवावक कल्याण संघ ने निजी स्कूलों के फीस बढ़ोतरी के फैसले पर आपत्ति जताते हुए इसे उत्तर प्रदेश शुल्क विनियमन अधिनियम 2018 का उल्लंघन करार दिया है। संघ का कहना है कि नियम के मुताबिक, डीएम की अध्यक्षता वाली कमेटी की सहमति के बाद ही निजी स्कूल फीस बढ़ा सकते हैं। ऐसे में इस फैसले की जांच होनी चाहिए। मालूम हो कि अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन के तहत 250 स्कूल आते हैं। इसके अलावा जिले में निजी स्कूलों की संख्या एक हजार के करीब है।