प्राइवेट स्कूलों को राहत व अभिभावकों को झटका, योगी सरकार ने दी फीस बढ़ाने की मंजूरी

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फाइल फोटो।

आरयू ब्यूरो, लखनऊ। महंगाई की मार झेल रही आम जनता की योगी सरकार ने मुश्किल बढ़ा दी है। सरकार ने प्राइवेट स्कूलों को राहत और अभिभावकों को झटका दिया है, जिसके बाद यूपी में अब निजी स्कूल फीस में बढ़ोत्तरी कर सकेंगें। स्कूल फीसों में बढ़ोतरी के संबंध से सरकार ने रोक हटा दी है।

हांलाकि स्कूलों की ओर से पहले ही अभिभावकों को बढ़ी हुई फीस से संबंधित चार्ट पकड़ा दिया गया था। स्कूल प्रशासन की ओर से अभिभावकों से कहा गया था कि अगर राज्य सरकार फीस बढ़ोत्तरी की मंजूरी देती है तो फिर इस संबंध में निर्णय लिया जाएगा। सरकार की ओर से स्कूल प्रशासन को राहत दिए जाने के बाद अब अभिभावकों की परेशानी बढ़ गई है।

कोविड काल में यूपी सरकार की ओर से निजी स्कूलों में फीस की बढ़ोत्तरी पर रोक लगा दी गई थी। इस बढ़ोत्तरी को शासन की ओर से बहाल कर दिया गया है। इस आदेश के बाद प्रदेश के सभी शिक्षा बोर्ड से एफिलिएटेड तमाम निजी स्कूलों में 2022-23 सेशन से नियमानुसार फीस में वृद्धि हो सकती है। हालांकि, सरकार ने स्कूल प्रशासन को फीस में संतुलित वृद्धि करने को ही कहा है। इसके लिए कुछ शर्तें भी तय कर दी गई हैं।

अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला ने निजी स्कूलों में फीस वृद्धि से संबंधित आदेश जारी किया है। इस आदेश में साफ किया गया कि शुल्क में वृद्धि वर्ष 2019-20 के फीस स्ट्रक्चर के आधार पर की जा सकेगी। इसे आधार मानते हुए उत्तर प्रदेश स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय शुल्क विनियमन अधिनियम 2018 की धारा 4(1) के नियम के अनुसार ही फीस में बढ़ोत्तरी होगी।

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इसमें शर्त यह लगाई गई है कि 2022-23 सेशन में वार्षिक वृद्धि की गणना नए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर की जाए। लेकिन, उसके साथ 5 फीसदी की जो शुल्क वृद्धि होनी है, वह वर्ष 2019-20 में लिए गए वार्षिक शुल्क के पांच प्रतिशत से अधिक न हो।

निजी स्कूलों की स्कूलों की ओर से शैक्षणिक सत्र 2020-21 और 2021-22 में फीस वृद्धि नहीं होने को भी आधार बनाया जा रहा है। कोरोना काल में सरकार की ओर से फीस वृद्धि पर रोक थी। इस स्थिति में काल्पनिक गणना के जरिए फीस का नए सिरे से निर्धारण किया जा रहा था। इससे अभिभावकों पर दबाव अधिक बढ़ रहा है।

आराधना शुक्ला की ओर से जारी आदेश में साफ किया गया कि पिछले दो वर्षों के शुल्क वृद्धि की काल्पनिक गणना किसी भी स्थिति में न की जाए। न ही उसे निर्धारित फॉर्मूले में जोड़ा जाए। हालांकि, इसकी जांच के लिए सरकार की ओर से अब तक किसी भी प्रकार की व्यवस्था नहीं दी गई है।

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