आरयू ब्यूरो,लखनऊ। चर्चित पूर्व आइपीएस अमिताभ ठाकुर की जमानत अर्जी पर गुरुवार को फैसला आ गया। उन्हें 25 अक्टूबर तक जेल में रहना होगा। मंगलवार को एडीजे पीएम त्रिपाठी की कोर्ट में अमिताभ की जमानत अर्जी पर सुनवाई हुई थी, जिसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
बसपा सांसद अतुल राय पर दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली पीड़िता ने 16 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के सामने आत्मदाह कर लिया था। उसने अमिताभ ठाकुर पर अतुल राय को बचाने का आरोप लगाया था। इसके बाद 27 अगस्त को पुलिस ने अमिताभ ठाकुर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इस मामले में अमिताभ के साथ उनकी पत्नी नूतन ठाकुर को भी आरोपी बनाया गया है, हालांकि उनकी अग्रिम जमानत अर्जी पहले ही कोर्ट की तरफ से स्वीकार की जा चुकी है। नूतन ठाकुर अभी अग्रिम जमानत पर हैं।
12 अक्टूबर को अमिताभ ठाकुर जमानत के संबंध में एडीजे-1 की कोर्ट में पेश हुए थे। अमिताभ ने दलील दी कि उन्हें फर्जी तरीके से फंसाया गया है। जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट के सामने के अंतिम वीडियो में सात लोगों में केवल उन्हें ही आरोपित बनाया गया है। सच्चाई यह है कि उन्होंने मात्र अपने विधिक दायित्वों का निर्वहन किया था और जो उनके पास सूचना आई थी, उसे सक्षम अधिकारियों के पास कार्यवाही के लिए भेजा था।
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सरकारी वकील मनोज त्रिपाठी ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कोर्ट में तर्क दिया कि आरोपी अमिताभ ठाकुर के खिलाफ जांच रिपोर्ट आने के बाद 27 अगस्त को हजरतगंज थाने में एसएसआइ दयाशंकर द्विवेदी ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसमें बताया गया था कि पीड़िता ने आरोप लगाया है कि दुष्कर्म के आरोपी अतुल राय को बचाने के लिए अमिताभ ठाकुर ने पैसे लेकर आपराधिक षड्यंत्र रचा था।
साथ ही गवाहों को बदनाम करने व पीड़िता पर दबाव बनाने के लिए अपराधियों से जोड़कर छवि खराब करने के लिए ऑडियो वायरल किया था। इस मामले में पुलिस ने ठाकुर को उनके लखनऊ के आवास से गिरफ्तार किया गया था। सरकारी वकील ने जमानत का विरोध किया। कहा कि अमिताभ ठाकुर के खिलाफ गंभीर आरोप हैं। इसके बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज कोर्ट द्वारा अमिताभ की बेल खारिज करने का आदेश किया गया है।