आरयू वेब टीम।
देश की सबसे बड़ी अदालत ने आज निर्वाचन आयोग में होने वाली नियुक्तियों पर सवाल उठाया है। साथ ही केंद्र से सवाल किया है कि भारत आयोग में मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के लिए संविधान में किए गए प्रावधानों के अनुरूप कोई कानून क्यों नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले हुई नियुक्तियों की सराहना करते हुए कहा कि अभी तक निर्वाचन आयोग में अच्छे लोगों की नियुक्ति हुई है।
मुख्य न्यायाधीश जे.एस. खेहर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चन्द्रचूड़ की पीठ ने कहा कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति तय कानून के तहत होगी, लेकिन अभी तक कोई कानून नहीं बनाया गया है।
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इस संबंध में पीठ ने केन्द्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार से पूछा, ‘आशा है कि संसद कानून बनाएगी। लेकिन कानून नहीं बनाया गया है, ऐसे में क्या अदालत प्रक्रिया तय कर सकती है।’ पीठ वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से अनूप परनवाल की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवायी कर रही थी।
आयुक्तों की नियुक्ति के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया होनी चाहिए। याचिका में उच्च और उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए स्वतंत्र प्रक्रिया का हवाला देते हुए कहा कि भारत निर्वाचन आयोग में निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के लिए भी ऐसी ही प्रक्रिया होनी चाहिए।
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वहीं इस संबंध में सॉलिसिटर जनरल ने भी कोर्ट से एक सवाल पूछा कि अगर संसद को लगता है कि इस पर कानून बनाने की जरूरत नहीं है तो क्या सुप्रीम कोर्ट को विधायिका में दखल देकर नियम बनाने चाहिए? इसके बाद कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले पर विस्तृत सुनवाई के बाद फैसला लेगा, अब इस मामले पर दो महीने बाद सुनवाई की जाएगी।