आरयू वेब टीम। देश की सबसे बड़ी अदालत में बुधवार को राजद्रोह कानून (124 ए) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई नहीं हो सकी, लेकिन कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वो इसी हफ्ते में अपना जवाब दाखिल कर दें। इससे आगे सुनवाई को टाला नहीं जाएगा। सुप्रीम कोर्ट अब इस मसले पर पांच और छह मई को सुनवाई करेगा। साथ ही कोर्ट ने साफ किया कि दोनों तारीख पर पूरे दिन सुनवाई होगी।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष अप्रैल में केंद्र सरकार से पूछा था कि वह इस प्रावधान को क्यों निरस्त नहीं कर रहे हैं, जिसका इस्तेमाल अंग्रेजों की सरकार ने महात्मा गांधी जैसे लोगों की आवाज को दबाने के लिए किया था। औपनिवेशिक काल के राजद्रोह कानून के बड़े स्तर पर दुरुपयोग होने पर चिंता व्यक्त की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि शीर्ष अदालत के समक्ष कई याचिकाओं में राजद्रोह कानून को चुनौती दी गई है, इसलिए सभी पर एक साथ सुनवाई होगी।
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सुप्रीम कोर्ट ने एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और पूर्व मेजर-जनरल एसजी वोम्बटकेरे द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए (देशद्रोह) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सहमति जताते हुए कहा था कि उनकी असल चिंता कानून के दुरुपयोग को लेकर है, जिसके कारण इस तरह के मामले बढ़े हैं।
वहीं याचिकाकर्ताओं की दलील है कि ये राजद्रोह कानून सरकार के प्रति सहमति और असंवैधानिक रूप से अस्पष्ट परिभाषाओं पर आधारित है, जो संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत मिली अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है।