विक्टोरिया गौरी बनीं HC की जज, याचिका रद्द कर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, नहीं देंगे दखल

विक्टोरिया गौरी

आरयू वेब टीम। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मद्रास उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में वकील लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से मना कर दिया है। ऐसा पहली बार हुआ है जब मद्रास हाई कोर्ट के एडिशनल जज के तौर पर शपथ होने जा रही हो और उससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की।

याचिकाकर्ता की दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने विक्टोरिया गौरी को बड़ी राहत दी। सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के एडिशनल जज के तौर पर नियुक्ति की गई एल विक्टोरिया गौरी के खिलाफ दायर याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले पर कोई आदेश जारी नहीं कर सकते हैं। उधर, विक्टोरिया गौरी ने एडिशनल जज के तौर पर शपथ ग्रहण की।

वहीं याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील राजू रामचंद्रन ने सुप्रीम कोर्ट में विक्टोरिया गौरी की नियुक्ति पर तत्काल रोक लगाने की मांग की, लेकिन डबल बेंच ने कहा कि पहले मामले के तथ्यों पर आएं। जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि योग्यता के इर्द-गिर्द पर बात की जाए। याचिकाकर्ता ने अनुच्छेद 217 के तहत उच्च संवैधानिक पद के पात्रता की शर्तों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि यह उस मानसिकता को दर्शाता है जो संविधान के आदर्शों के अनुरूप नहीं है।

यह अनुच्छेद 21 के साथ-साथ अनुच्छेद 14 के भी विपरीत है। वह शपथ लेने के लिए अयोग्य हैं। शपथ सच्चे विश्वास और निष्ठा की बात करती है, लेकिन गौरी अपने पहले बयानों के कारण संविधान की शपथ लेने के योग्य नहीं हैं। इस पर बेंच ने कहा कि इससे पहले भी राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले लोगों ने सुप्रीम कोर्ट जजों के रूप में शपथ ली है। गौरी से जुड़े तथ्य कॉलेजियम के समक्ष भी रखे गए होंगे। जस्टिस  बीआर गवई ने कहा कि हम भी परामर्शदाता जज रहे हैं और हम आमतौर पर सभी सामग्रियों को देखने के बाद ही राय देते हैं।

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इस पर वकील ने दलील दी कि जजों के लिए गौरी के सभी ट्वीट देखना संभव नहीं था। जस्टिस गवई ने कहा कि कोर्ट में जज के रूप में शामिल होने से पहले मेरी भी राजनीतिक पृष्ठभूमि थी और अब मैं 20 साल से इस पद पर हूं, लेकिन कभी भी मैंने इसे प्रभावित नहीं होने दिया। वकील ने आगे कहा कि गौरी की भाषा संविधान के खिलाफ है। ऐसी शपथ एक निष्ठाहीन शपथ होगी और केवल कागज पर रह जाएगी। इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा कि कॉलेजियम यह सब समझती देखती है।

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