आरयू वेब टीम। कुछ दिन पहले ही देश ने नयी ऊर्जा के साथ आजादी के अमृतकाल में प्रवेश किया है। हमारे इस अमृतकाल में देश के सामूहिक प्रयास प्रतिष्ठित हो रहे हैं, देश के सामूहिक विचार जागृत हो रहे हैं। भारत एक ऐसा राष्ट्र है, जहां, इलाज एक सेवा है, आरोग्य एक दान है। जहां आरोग्य आध्यात्म दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। हमारे यहां आयुर्विज्ञान एक वेद है। हमने हमारी मेडिकल साइन्स को भी आयुर्वेद का नाम दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को हरियाणा के फरीदाबाद में एशिया के सबसे बड़े निजी बहु-विशिष्ट अमृता अस्पताल के विशाल परिसर का उद्घाटन कर कार्यक्रम को संबोधित कर कही। साथ ही प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे धार्मिक और सामाजिक संस्थानों द्वारा शिक्षा-चिकित्सा से जुड़ी जिम्मेदारियों के निर्वहन की ये व्यवस्था एक तरह से पुराने समय का पीपीपी मॉडल ही है। इसे पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप तो कहते ही हैं, लेकिन मैं इसे ‘परस्पर प्रयास’ के तौर पर भी देखता हूं।
इसकी स्थापना आध्यात्मिक नेता माता अमृतानंदमयी देवी ने की थी, जिन्हें प्यार से अम्मा के नाम से जाना जाता है। राष्ट्रीय राजधानी के बाहरी इलाके फरीदाबाद में 130 एकड़ में फैले इस अस्पताल का निर्माण अंतिम चरण में है।
इस अस्पताल पर अब तक कुल 4,000 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। 2,600 बिस्तरों वाला यह अस्पताल करीब एक करोड़ वर्ग फुट के क्षेत्र में फैला हुआ है। इसमें चार सितारा होटल, मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज, संबद्ध स्वास्थ्य विज्ञान कॉलेज, पुनर्वास केंद्र, रोगियों के लिए हेलीपैड और रोगियों के परिवार के सदस्यों के लिए 498 कमरे का गेस्ट हाउस और कई अन्य सुविधाएं भी हैं।
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अस्पताल का लक्ष्य पहले चरण में 550 बिस्तरों के साथ शुरू करना है और फिर अगले 18 महीनों में इसे 750 बिस्तरों में अपग्रेड करना है। अस्पताल 2027-29 तक 2600 बिस्तरों के लक्ष्य को हासिल करने का प्रयास करेगा। अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि 12,000 से अधिक कर्मचारियों और 700 डॉक्टरों के साथ नए अस्पताल की अवधारणा मौजूदा अस्पताल से अलग है, जिसमें केरल के कोच्चि में अपना खुद का अस्पताल भी शामिल है। प्रबंधन योजना डॉक्टरों और कर्मचारियों को एस्केलेटर का उपयोग करके स्वस्थ रहने के लिए प्रोत्साहित करना है।