मौलिक अधिकार है आरक्षण, संविधान को खत्म करने की हो रही साजिश, सड़क से सदन तक लड़ेगे लड़ाई: लल्‍लू

लल्लू को सजा

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा पीसीएस समेत अन्य परीक्षाओं की भर्ती में आरक्षण के प्रावधान में किये गये बदलावों पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने नाराजगी व्यक्त की है। सोमवार को अपने एक बयान में लल्‍लू ने आरक्षण को मौलिक अधिकार बताते हुए कहा कि बाबा साहब के संविधान को खत्‍म करने की साजिश चल रही है, जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्‍त नहीं किया जाएगा। कांग्रेस इसके लिए सड़क से लेकर सदन तक लड़ाई लड़ेगी।

प्रदेश अध्‍यक्ष ने कहा कि यूपीपीएससी ने निर्णय लिया है जिन परीक्षा में प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा, साक्षात्कार और स्क्रीनिंग परीक्षा शामिल है। उसमें किसी भी स्तर पर अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के आरक्षण का लाभ लेने की स्थिति के संबंध में अभ्यर्थी को उसी की श्रेणी में चयनित किया जाएगा। भले ही अंतिम चयन परिणाम में उसका कटऑफ अनारक्षित वर्ग के बराबर या अधिक हो।

लल्लू ने कहा कि यूपीपीएससी द्वारा आरक्षण के प्रावधान में बदलाव करना संविधान में वर्णित न्याय की संकल्पना यानी ‘‘सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक न्याय’’ का खुला उल्लंघन है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 16 (4) में राज्य के सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों तो उचित अवसर प्रदान करने के लिए राज्य को निर्देशित करता है। इसी के तहत अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को आरक्षण मिला हुआ है।

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उन्‍होंने आगे कहा कि साल 1992 में ’इंदिरा साहनी जजमेंट’ में सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय लिया था कि यदि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थी से ज्यादा अंक प्राप्त किए तो उसका अंतिम चयन अनारक्षित वर्ग में कर दिया जाएगा। इंदिरा साहनी के फैसले के आधार पर 17 सितंबर 2019 को जस्टिस नागेश्‍वर राव और हेमंत गुप्ता की पीठ ने यह निर्णय दिया था कि हर प्रतिभागी सामान्य वर्ग का होता है चाहे वह कैंडिडेट पिछड़ा वर्ग अनुसूचित जाति और जनजाति का भी क्यों ना हो। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी द्वारा अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थी द्वारा ज्यादा अंक लाने पर उसका चयन सामान्य वर्ग में हो जायेगा। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा पीसीएस समेत अन्य परीक्षाओं की भर्ती में आरक्षण के प्रावधान में जो बदलाव किया है, उससे प्रदेश अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और जनजाति के लाखों अभ्यर्थी प्रभावित होंगे।

न्यायिक अड़चन है तो यह सरकार की जिम्मेदारी है कि…

अपना मत रखते हुए अजय कुमार ने कहा कि यूपी लोक सेवा आयोग का निर्णय कि आयोग की सभी परीक्षाओं के अंतिम चयन परिणाम में अनारक्षित वर्ग में आरक्षित वर्ग की ओवरलैपिंग नहीं हो सकेगी, यह पूरी तरह से संविधान के खिलाफ है। यह आरक्षित वर्ग को उनके अधिकारों से वंचित करने का षडयंत्र है। सरकार या आयोग यह तर्क देकर नहीं बच सकते कि हाईकोर्ट के किसी आदेश के अंतर्गत ऐसा किया जा रहा है। यदि कोई न्यायिक अड़चन है तो यह सरकार की जिम्मेदारी है कि उसे दूर कर संविधान के अंतर्गत आरक्षण की व्यवस्था को लागू करायें जिससे लाखों पिछड़ों, दलित वर्ग के छात्रों के अधिकारों का हनन न हो पायें।

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