आरयू वेब टीम। उत्तर प्रदेश के संभल की शाही जामा मस्जिद एक बार फिर चर्चा में आ गई है, जोकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की तरफ भेजे गए एक नए साइन बोर्ड को लेकर है। जिसमें मस्जिद को उसके सामान्य नाम शाही जामा मस्जिद के बजाय “जुमा मस्जिद” लिखा गया है। ऐसा माना जा रहा है कि जल्द ही ये साइन बोर्ड मस्जिद पर लगाया जाएगा।
दरअसल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने दस्तावेजों में जामा मस्जिद का नाम जुमा मस्जिद बताया है। एएसआई का दावा है कि नया साइनबोर्ड उनके रिकॉर्ड में दर्ज नाम के अनुसार है। इस संबंध में एएसआइ के वकील विष्णु शर्मा ने बताया कि मस्जिद के बाहर पहले एएसआइ का एक बोर्ड लगाया गया था, लेकिन कथित तौर पर कुछ लोगों ने इसे हटाकर इसकी जगह ‘शाही जामा मस्जिद’ लिखा हुआ बोर्ड लगा दिया। नया बोर्ड एएसआइ के दस्तावेजों में दर्ज नाम ‘जुमा मस्जिद’ के अनुसार जारी किया गया है। साथ ही कहा कि मस्जिद परिसर के अंदर पहले से ही इसी नाम का एक नीला एएसआइ बोर्ड मौजूद है।
संभल स्थित यह मस्जिद लगभग 498 साल पुरानी है और इसे 1526 में मीर बेग द्वारा बाबर के आदेश पर बनवाया गया था। बाबर ने उस समय अपने पुत्र हुमायूं को संभल की जागीर सौंपी थी। हालांकि, कुछ समय बाद हुमायूं बीमारी के कारण इस जागीर को छोड़कर लौट गया था। इस मस्जिद का उल्लेख बाबरनामा और आइन-ए-अकबरी जैसे ऐतिहासिक ग्रंथों में भी मिलता है।
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मालूम हो कै पिछले साल 24 नवंबर को सर्वे के दौरान संभल के कोट गर्वी इलाके में हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें पांच युवकों की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थीं, जबकि कई अन्य घायल हो गए थे। इलाके में शांति बहाली के लिए पुलिस को कई दिनों तक इंटरनेट बंद और कर्फ्यू लगाना पड़ा था। नए नाम के बोर्ड को लेकर हो सकता है कि विरोध देखने को मिले, हालांकि अब तक इस बारे में किसी ने कोई आपत्ति नहीं जताई है।