आरयू वेब टीम। भारतीय जनता पार्टी की आलोचना करने वाले शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने बड़ा दावा किया है। संजय राउत ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय की ओर से कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें गिरफ्तार करने के पीछे मुख्य वजह यह थी कि उन्होंने 2019 में महाराष्ट्र में भाजपा को सत्ता में आने से रोका था।
अपनी पुस्तक ‘नरकतला स्वर्ग’ (नरक में स्वर्ग) में राउत ने यह भी दावा किया कि उनके खिलाफ कार्रवाई इसलिए की गई, क्योंकि वे उस साल सत्ता में आई उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार का सुरक्षा कवच थे। पुस्तक राउत के जेल में बिताए उन अनुभवों के बारे में है, जब ईडी ने उन्हें 2022 में ठाकरे सरकार के गिरने के तुरंत बाद कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था।
शिवसेना नेता ने ये दावा किया कि ‘एकनाथ शिंदे सरकार असंवैधानिक तरीकों से बनाई गई थी। शिंदे और तत्कालीन उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस दोनों एक बात पर सहमत रहे होंगे कि अगर सरकार को काम करना है, तो राउत को सलाखों के पीछे होना चाहिए।’
राउत ने कहा कि भाजपा इस बात से आहत है कि उसे 2019 के चुनावों में 288 सदस्यीय विधानसभा में 105 सीटें जीतने के बावजूद विपक्ष में बैठना पड़ा। शिवसेना ने शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के साथ हाथ मिला लिया, जिससे भाजपा को विपक्ष में बैठना पड़ा। उन्होंने दावा किया कि भाजपा 2019 में महाराष्ट्र में सरकार न बना पाने का कारण राउत को मानती है। भाजपा को हमेशा इसका अफसोस रहा है।
भाजपा के आलोचक माने जाने वाले राज्यसभा सांसद ने कहा कि पूर्व सहयोगी दल 2019 में उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री के रूप में नहीं देख सकता था, इसलिए उसके नेताओं ने उनकी सरकार को गिराने की साजिश रची। उन्होंने कहा कि सरकार के पास 170 विधायकों का बहुमत होने के कारण यह संभव नहीं था कि उनका ‘ऑपरेशन लोटस’ सफल हो। यही कारण है कि केंद्रीय एजेंसियां युद्ध के मैदान में उतरीं। साथ ही कहा, ‘अनिल देशमुख, नवाब मलिक और संजय राउत को लक्ष्य बनाया गया था।’
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इतना ही नहीं संघीय एजेंसी ने एक राजनीतिक एजेंडा तय किया था और महाराष्ट्र में गिरफ्तार किए जाने वाले एमवीए नेताओं की एक सूची बनाई थी। किताब में दावा किया गया कि सूची में देशमुख, मलिक और राउत शामिल थे। देशमुख और मलिक दोनों एनसीपी से हैं और ठाकरे सरकार में मंत्री थे। ईडी ने अविभाजित शिवसेना के 40 विधायकों (शिंदे सहित) में से 11 पर शिकंजा कस दिया था, जिन्होंने ठाकरे के खिलाफ विद्रोह किया था। राउत ने दावा किया कि ईडी अविभाजित शिवसेना के कुछ सांसदों को भी गिरफ्तार करने जा रही थी।