आरयू वेब टीम। मोदी सरकार के कानून मंत्री किरण रिजिजू ने न्यायपालिका और कॉलेजियम सिस्टम पर आपत्तिजनक बयान दिया था। अब इस मुद्दे पर विपक्षी नेताओं ने उन्हें घेरना शुरू कर दिया है। इस पर उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने न्यायपालिका, कॉलेजियम सिस्टम समेत तमाम राजनीतिक मुद्दों को लेकर केंद्र पर हमला बोला है। राउत ने कहा कि विपक्षी दलों के नेताओं को सरकार के खिलाफ बोलने नहीं दिया जाता है। उन्होंने इसे एक गंभीर मुद्दा बताते हुए पूछा कि क्या सरकार के खिलाफ बोलना गुनाह है? क्या शासकों की ये इच्छा है कि देश की न्यायपालिका स्वतंत्र न रहे? देश के कानून मंत्री ने न्यायपालिका को धमकी दी है।
राउत ने आगे कहा की न्याय व्यवस्था अब संकट में है। केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा, ‘जो हम कहते हैं अगर वह नहीं करते हैं, तो हम देखेंगे’, न्यायपालिका के खिलाफ धमकी भरी टिप्पणी करना अपमानजनक है। उन्होंने पूछा कि उन टिप्पणियों का क्या अर्थ है। कानून मंत्री के बयान पर उन्होंने कहा कि जिस पद पर अंबेडकर संविधान लिख रहें, उसी पद पर बैठे जज को आप धमकी दे रहे हैं। यह भाषा कानून मंत्री को शोभा नहीं देती। सत्ता में आने के बाद से ये सरकारें दखल दे रही हैं। सरकार सुप्रीम कोर्ट को अपनी जेब में डालने की कोशिश कर रही है।
‘राहुल गांधी माफी नहीं मांगेंगे’
वहीं देश में जारी तानाशाही के खिलाफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आवाज उठाई है, इसलिए उनका सांसद रद्द करने का आंदोलन चल रहा है। राहुल गांधी के विदेश में दिए गए बयान को लेकर भाजपा लगातार उनसे माफी मांगने की मांग कर रही है। इसपर राउत ने दो टूक कहा कि राहुल माफी नहीं मांगेंगे। उन्होंने पूछा कि राहुल को आखिर क्यों माफी मांगनी चाहिए। उनके बजाय भाजपा के कई नेताओं को आज माफी मांगनी चाहिए। सरकार विपक्ष की आवाज दबा रही है।
इससे पहले राउत ने विपक्ष की एकजुटता को लेकर कहा था कि विपक्ष के एकजुट होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हार जाएंगे। इंदिरा गांधी भी हार गई थीं, पवार साहब (शरद पवार) भी महाराष्ट्र में हार गए थे, हमने हराया था सबको जब बाला साहेब ठाकरे थे। डेमोक्रेसी है, जनता तय करेगी, लेकिन हमको लगता है कि अभी समय आ गया है भाजपा के हारने का।
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बता दें कि कानून मंत्री किरेन रिजिजू कॉलेजियम प्रणाली को लेकर कहा था कि कुछ जज ऐसे हैं जो कार्यकर्ता हैं और भारत विरोधी गिरोह का हिस्सा हैं जो न्यायपालिका को विपक्षी दलों की तरह सरकार के खिलाफ करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट जाते हैं और कहते हैं कि सरकार पर लगाम लगाएं। ये तो नहीं हो सकता न्यायपालिका किसी समूह या राजनीतिक संबद्धता का हिस्सा नहीं हैं।
किरेन रिजिजू ने ये भी कहा था कि ये लोग खुले तौर पर कैसे कह सकते हैं कि भारतीय न्यायपालिका को सरकार का सामना करना चाहिए। अगर जज ही प्रशासनिक नियुक्तियों का हिस्सा बन जाते हैं तो न्यायिक कार्य कौन करेगा। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि संविधान में लक्ष्मण रेखा बहुत स्पष्ट है।