आरयू वेब टीम।
मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर में शिवलिंग का जलाभिषेक को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अपने आदेश में महाकाल शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले जल की मात्रा तय करने के साथ ही सिर्फ आरओ का प्रयोग करने के लिए कहा है इसके साथ ही मंदिर प्रशासन को आठ सुझाव भी दिए जिसका पालन करना जरुरी होगा।
उज्जैन की याचिकाकर्ता सारिका गुरु ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें अभिषेक के लिए पंचामृत (दूध, दही, शहद, शकर और घी) से अभिषेक हो या नहीं और कितनी मात्रा में हो। दरअसल, चढ़ावे से शिवलिंग के आकार का छोटा (क्षरण) होने के चलते कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की देहरादून, भोपाल और इंदौर की टीमें गठित कर महाकाल शिवलिंग की क्षरण की जांच के लिए टीम भेजी थी।
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आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया कि विश्वप्रसिद्ध भस्म आरती में कंडे की भस्म चढ़ाई जाती है, जिससे शिवलिंग का क्षरण हो रहा है। इसके अलावा महाकाल मंदिर के शिवलिंग पर लगातार जो जल चढ़ाया रहा है, उसमें बैक्टीरिया हैं और वह पानी प्रदूषित भी है, इसलिए पानी की मात्रा को कम किया जाए।
जिसपर फैसला सुनाते हुए बारह ज्योतिलिंगों में से एक उज्जैन के विश्वप्रसिद्ध महाकाल मंदिर में स्थापित शिवलिंग में हो रहे क्षरण को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए पानी की मात्रा तय करने के साथ अन्य आठ बातों पर अमल करने के लिए मंदिर प्रशासन को आदेश दिए हैं। जिसमें श्रद्धालु 500 मिलीलिटर से ज्यादा जल नहीं चढ़ाएंगे। जल सिर्फ आरओ का होना चाहिए।
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भस्म आरती के दौरान शिवलिंग को सूखे सूती कपड़े से पूरी तरह ढका जाए, अभिषेक के लिए निश्चित मात्रा में दूध या पंचामृत चढ़ा सकेंगे, शिवलिंग पर चीनी पाउडर लगाने की जगह खांडसारी के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा, नमी से बचाने के लिए ड्रायर व पंखे लगाए जाएंगे और बेलपत्र व फूल-पत्ती शिवलिंग के ऊपरी भाग में चढ़ेंगे, ताकि शिवलिंग के पत्थर को प्राकृतिक सांस लेने में कोई दिक्कत न हो। इसके साथ ही शाम पांच बजे के बाद अभिषेक पूरा होने पर शिवलिंग की पूरी सफाई होगी और इसके बाद सिर्फ सूखी पूजा होगी।