आरयू वेब टीम।
केंद्रीय जांच ब्यूरो में पिछले दो महीने से चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा ने बुधवार को दोबारा सीबीआइ दफ्तर जाकर निदेशक के रूप में कार्यभार संभाल लिया है, हालांकि अगले एक हफ्ते तक वह कोई नीतिगत फैसला नहीं ले पाएंगे।
आज सुबह नागेश्वर राव ने आलोक वर्मा को सीबीआइ दफ्तर में रिसीव किया। नागेश्वर राव ही उनकी अनुपस्थिति में अंतरिम डायरेक्टर के पद पर तैनात थे। सूत्रों के अनुसार एम नागेश्वर राव के बतौर निदेशक अल्प अवधि में आलोक वर्मा के कई नजदीकी अधिकारियों का तबादला किया गया। अब वर्मा उन्हें वापस बहाल कर सकते हैं।
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बता दें कि सीबीआइ में शीर्ष पदों पर तैनात दो अफसरों में झगड़ा सामने आने के बाद केंद्र सरकार ने दोनों को छुट्टी पर भेज दिया गया था, जिसके बाद सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के फैसले को गलत ठहराते हुए कहा कि उनके पास ये फैसला लेने का अधिकार नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि अफसरों के बीच को झगड़े के अलावा केंद्र को सीबीआइ निदेशक के पद की गरिमा का भी ध्यान रखना चाहिए। इस प्रकार का फैसला सिर्फ उच्च स्तर की कमेटी ही ले सकती है, जिसमें प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और लोकसभा में विपक्ष के नेता शामिल होते हैं। हालांकि, अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट में आलोक वर्मा को पूर्ण रूप से राहत नहीं दी है।
कोर्ट के फैसले के अनुसार, आलोक वर्मा पर जो भ्रष्टाचार संबंधी आरोप हैं, उसपर उच्च स्तरीय कमेटी फैसला लेगी। इस कमेटी को एक सप्ताह के अंदर अपना फैसला सुनाना होगा, तबतक आलोक वर्मा कोई बड़ा फैसला नहीं ले पाएंगे।