आरयू वेब टीम। कर्नाटक की कुमारस्वामी सरकार से समर्थन वापस लेने वाले दो निर्दलीय विधायक केआर शंकर और निर्दलीय एच नागेश की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। इससे कुमारस्वामी को राहत मिली है और बागियों को झटका लगा है। बागी विधायकों की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने आज ही बहुमत परीक्षण का आदेश देने का अनुरोध किया। इस पर कोर्ट ने कहा कि इस तरह का आदेश नहीं देना चाहते, कल देखेंगे।
इसके जवाब में रोहतगी ने कोर्ट से कहा कि ठीक है फिर आप कल सुनवाई तय कर दीजिए। इस पर कोर्ट ने कहा कि कल देखेंगे। सुप्रीम कोर्ट की आज की इस टिप्पणी के बाद गठबंधन खेमे में थोड़ी राहत महसूस की जा सकती है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिनेश गुंडू राव ने एलान किया है कि सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत परीक्षण को लेकर कुछ भी नहीं कहा है, ऐसे में हम कल इस पर सुप्रीम कोर्ट का रुख देखना चाहते हैं। माना जा रहा है कि कोर्ट ने इस आदेश के बाद आज विधानसभा में वोटिंग नहीं होगी और एक दिन के लिए गठबंधन सरकार बनी रहेगी।
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बताते चलें कि इससे पहले राज्यपाल दो बार बहुमत परीक्षण की डेडलाइवन दे चुके हैं। सरकार संकट में इसलिए है, क्योंकि 15 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है। दस कांग्रेस के, तीन जेडीएस और दो निर्दलीय विधायक कुमारस्वामी की सरकार को गिराने पर आमादा हैं। स्पीकर किसी का इस्तीफा मंजूर कर नहीं रहे हैं।
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इन सब के बीच इकलौते बीएसपी विधायक का मामला दिलचस्प हो गया है। विधायक एन महेश ने पहले दावा किया कि मायावती ने उनसे वोटिंग से दूर रहने को कहा है। इसीलिए विश्वास मत प्रस्ताव में वे गैर हाजिर रहेंगे। इस खबर के सामने आने के बाद मायावती ने ट्वीट कर सफाई देते हुए कहा कि कर्नाटक में विधायक सरकार के पक्ष में वोट करेंगे। इसके बाद से एन महेश का कोई अता पता नहीं है। उनका फोन स्विच ऑफ जा रहा है, जिसके बाद बीएसपी विधायक एन महेश को खोजने के लिए मायावती ने अशोक सिद्धार्थ को कर्नाटक भेजा है।