आरयू वेब टीम।
देश की सर्वोच्च अदालत ने सोमवार को आदेश दिया है कि हर विधानसभा क्षेत्र में एक की बजाए पांच बूथों पर ईवीएम-वीवीपैट का औचक मिलान होगा। 21 विपक्षी पार्टियों की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा इस याचिका को लंबित नही रख सकते, क्योंकि 11 अप्रैल से मतदान शुरू हो रहा है।
याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने कहा कि हर विधानसभा में ईवीएम-वीवीपैट के मिलान की संख्या इसलिए बढ़ाई गई है, ताकि सटीकता बढ़े, चुनावी प्रक्रिया सही हो और न सिर्फ राजनीतिक दल बल्कि मतदाता भी इससे संतुष्ट हो।
यह भी पढ़ें- EVM के विरोध के बीच, मुख्य चुनाव आयुक्त की दो टुक बैलेट पेपर के युग में हम नहीं लौटने वाले
अभी तक चुनाव आयोग 4125 ईवीएम और वीवीपैट के मिलान कराता है, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 20,625 ईवीएम और वीवीपैट का मिलान करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने आगामी आम चुनावों में हर निर्वाचन क्षेत्र से ईवीएम-वीवीपैट के औचक मिलान के लिए ईवीएम की संख्या बढ़ा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने यह संख्या एक से बढ़ा कर पांच कर दी है।
दरसअल सुनवाई के दौरान एक वकील ने मांग की थी कि इस याचिका को लंबित रखा जाए लोकसभा चुनाव में ईवीएम-वीवीपीएट के 50 प्रतिशत मिलान को लेकर 21 विपक्षी पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
यह भी पढ़ें- 11 अप्रैल से सात चरणों में होंगे लोकसभा चुनाव, 23 मई को आएंगे नतीजे, जानें कुछ अहम बातें
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इसके लिए संसाधनों की समस्या क्यों होनी चाहिए? यह मामला चुनाव प्रणाली में विश्वास को लेकर है। चुनाव आयोग के पास ईवीएम के साथ वीवीपैट को गिनने और मिलान करने के लिए अधिक लोग होने चाहिए। ये व्यवस्था देशभर के 479 ईवीएम पर आधारित नहीं होना चाहिए बल्कि प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में होनी चाहिए।