आरयू वेब टीम।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को गुरुवार को बताया कि सरकारी नौकरियों में एससी-एसटी के कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण का लाभ देने से इनकार करने के लिए क्रीमी लेयर सिद्धांत को लागू नहीं किया जा सकता। इस पर कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि क्या क्रीमी लेयर सिद्धांत लागू करके एससी और एसटी के अमीर लोगों को पदोन्नति में आरक्षण देने से इनकार किया जा सकता है? कोर्ट ने इस मुद्दे पर केंद्र से अपना रुख साफ करने का आदेश दिया।
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अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने पांच न्यायाधीशों वाली और प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ को सूचित किया कि ऐसा कोई फैसला नहीं है, जो यह कहता हो कि एससी-एसटी समुदाय के समृद्ध लोगों को क्रीमी लेयर सिद्धांत के आधार पर आरक्षण का लाभ देने से इनकार किया जा सकता है। वेणुगोपाल से पूछा गया था कि क्या क्रीमी लेयर सिद्धांत को लागू करके उन लोगों को लाभ से वंचित किया जा सकता है जो इससे बाहर आ चुके हैं, ताकि यह सुनिश्चि किया जा सके कि एससी-एसटी समुदाय के पिछड़े लोगों तक आरक्षण का लाभ पहुंच सके।
वहीं शीर्ष विधिक अधिकारी ने बताया कि हालांकि समुदाय के कुछ लोग इससे उबर चुके हैं, लेकिन फिर भी जाति और पिछड़ेपन का ठप्पा अभी भी उन पर लगा हुआ है। पीठ में न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ, न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा भी हैं। पांच न्यायाधीशों की पीठ यह देख रही है कि सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण के संबंध में ‘क्रीमी लेयर’ से जुड़े उसके 12 वर्ष पुराने फैसले को सात सदस्यीय पीठ द्वारा फिर से देखने की जरूरत तो नहीं है।
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