आरयू वेब टीम। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राफेल डील को लेकर दाखिल की गई तीन पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया। शीर्ष अदालत ने इस मामले पर फैसला पढ़ते हुए याचिकाकर्ताओं के द्वारा सौदे की प्रक्रिया में गड़बड़ी की दलीलें खारिज कर दीं। कोर्ट की ओर से याचिका खारिज करने का सबसे बड़ा आधार उनकी कमजोर दलील माना गया।
पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने माना कि इन याचिकाओं में कोई दम नहीं है और कोर्ट उनकी दलीलों पर सहमत नहीं था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हमें ऐसा नहीं लगता कि इस मामले में कोई एफआइआर दर्ज होनी चाहिए या फिर किसी तरह की जांच की जानी चाहिए।
कोर्ट ने आगे कहा कि हम इस बात को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि अभी इस मामले में एक कॉन्ट्रैक्ट चल रहा है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा हलफनामे में हुई भूल को स्वीकार किया है। राफेल विमान डील मामले में शीर्ष अदालत के दिसंबर 2018 के आदेश पर पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी तथा वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के अलावा विनीत भांडा, आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह की ओर से पुनर्विचार के लिए तीन याचिकाएं दाखिल की गई थीं।
यह भी पढ़ें- राफेल मामले मे सत्य की हुई जीत, राहुल गांधी को देश से मांगनी चाहिए माफी: रविशंकर
पुनर्विचार याचिका पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने फैसला सुनाते हुए इसे खारिज कर दिया. कोर्ट पहले ही फैसला दे चुका था कि डील को लेकर किसी तरह की अनियमितता नहीं बरती गई थी।
फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने गुरुवार को कहा कि इस मामले में किसी तरह की जांच की जरूरत नहीं है। डील में मोदी सरकार की भूमिका नहीं है। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि इन याचिकाओं में कोई दम नहीं है। हम नहीं समझते कि एफआइआर या राफेल डील को लेकर किसी तरह की जांच के आदेश दिए जाएं।
14 दिसंबर 2018 को शीर्ष अदालत ने करीब 58,000 करोड़ रुपये के इस समझौते में कथित अनियमितताओं के खिलाफ जांच का मांग कर रही याचिकाओं को खारिज कर दिया था। कोर्ट का यह फैसला मोदी सरकार के लिए काफी राहत भरा है, क्योंकि कांग्रेस ने इस करार को लोकसभा में चुनावी मुद्दा बनाया था।